Thursday 26 September 2013

रिजर्व बैंक का समाजवादीकरण

मनीराम शर्मा
अध्यक्ष, इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन , चुरू प्रसंग
रोडवेज डिपो के पीछे
सरदारशहर  331403
दिनांक 21.09.13
माननीय अध्यक्ष महोदय,
कार्मिक, जनशिकायत, विधि एवं न्याय समिति,
राज्य सभा,
नई दिल्ली   
महोदय,
रिजर्व बैंक का समाजवादीकरण 
आपको ज्ञात ही है कि देश के संविधान में यद्यपि समाजवाद का समावेश अवश्य है किन्तु देश के सर्वोच्च वितीय संस्थान रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड में ऐसे सदस्यों के चयन में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है जिनकी समाजवादी चिंतन की पृष्ठभूमि अथवा कार्यों से कभी भी वास्ता रहा है| सर्व प्रथम तो बोर्ड के अधिकाँश सदस्य निजी उद्योगपति पूंजीपति हैं| जिन सदस्यों को उद्योगपतियों के लिए निर्धारित कोटे के अतिरिक्त -  समाज सेवा , पत्रकारिता आदि क्षेत्रों से चुना जाता है वे भी समाज सेवा, पत्रकारिता आदि का मात्र चोगा पहने हुए होते हैं व वास्तव में वे किसी न किसी  औद्योगिक घराने से जुड़े हुए हैं| एक उद्योगपति का स्पष्ट झुकाव स्वाभाविक रूप से व्यापार के हित में नीति निर्माण में होगा| इससे भी अधिक दुखदायी तथ्य यह है कि  केन्द्रीय बोर्ड के 80% से अधिक सदस्य विदेशों से शिक्षा प्राप्त हैं फलत: उन्हें जमीनी स्तर की भारतीय परिस्थितियों का कोई व्यवहारिक ज्ञान नहीं है अपितु उन्होंने तो इंडिया को मात्र पुस्तकों  में पढ़ा है| ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक बोर्ड द्वारा नीति निर्माण में संविधान सम्मत और जनोन्मुख नीतियों की अपेक्षा करना ही निरर्थक है| रिजर्व बैंक, स्वतन्त्रता पूर्व 1934 के अधिनियम से स्थापित एक बैंक है अत: उसकी स्थापना में संवैधानिक समाजवाद के स्थान पर औपनिवेशिक साम्राज्यवाद की बू आना स्वाभाविक  है| देश के 65% गरीब, वंचित और अशिक्षित वर्ग का रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड में वास्तव में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है और देश आयातित नीतियों पर चल रहा है| दूसरी ओर भारत से 14 वर्ष बाद 1961 में स्वतंत्र हुए दक्षिण अफ्रिका के रिजर्व बैंक के निदेशकों में से एक कृषि व एक श्रम क्षेत्र से होता है| हमारे पडौसी देश पाकिस्तान के केन्द्रीय बैंक में निदेशक मंडल में प्रत्येक राज्य से न्यूनतम एक निदेशक अवश्य होता है जबकि हमारे देश में ऐसे  प्रावधान का नितांत अभाव है|
अत: रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन कर इसे समाजवादी बनाया जाये और यह सुनिश्चित किया जाए कि उसके निदेशक/शासकीय मंडल में  कृषक, मजदूर वर्ग तथा समस्त राज्यों का समुचित प्रतिनिधित्व हो| इस प्रसंग में आप द्वारा की गयी कार्यवाही का मुझे उत्सुकता से इंतज़ार रहेगा|
भवनिष्ठ
मनीराम शर्मा 


No comments:

Post a Comment