सरकार का प्राथमिक कर्तव्य कानून व्यवस्था बनाये रखना और नागरिकों की सुरक्षा और
शांति सुनिश्चिय करना है और अन्य सभी कार्य
गौण होते हैं | गुजरात राज्य में सूचना का
अधिकार कानून बहुत कम प्रभाव शाली है और वेबसाइट पर उपलब्ध नगण्य सूचना भी गुजराती
भाषा में है ताकि अन्य राज्य का नागरिक उसे नहीं जान पाए | और यदि
राज्य का कोई नागरिक ऐसी हिमाकत करे तो
उससे निपटने के लिए प्रशासन और पुलिस कटिबद्ध तैयार हैं तथा शासन का उन्हें पूर्ण
संरक्षण उपलब्ध है| गुजरात के कई लोगों से स्वतंत्र पूछताछ की जिसमें कई
महत्वपूर्ण तथ्य सामने आये हैं | गुजरात राज्य की पुलिस की कार्य शैली में भी अपने
पडौसी राज्यों की पुलिस से कोई ज्यादा
भिन्नता नहीं है | यद्यपि राज्य में शराब
बंदी है किन्तु पुलिस थानों के पीछे ही और
झुग्गी झोम्पडियों में शराब उपलब्ध है | गुजरात
में शराब भगवान की तरह है । दिखती कहीं नहीं, पर मिलती हर
जगह है ।आम जनता पुलिस से घृणा करती है और पुलिस में प्रत्येक काम करवाने के लिए
प्रत्येक सीट की दर तय है | वे प्राप्त रिश्वत की राशि निर्भय होकर खुले रूप से
बैंक में काउंटर पर केशियर की तरह गिनकर ले लेते हैं |
गुजरात
में शराब बंदी का यह हाल है कि प्रशासन और
पुलिस से मिलकर राजस्थान के रास्ते से पंजाब, हरियाणा से गुजरात बड़ी मात्रा में
गुजरात में शराब की तस्करी होती है |
मुख्य गरबा में भी लोग नशा करके आते हैं
अत: स्त्रियाँ अपने घर के आसपास के छोटे मंदिरों
के प्रांगणों में ही गरबा में भाग लेती हैं | उच्च न्यायालय में गरीब व्यक्ति को पैरवी के लिए गुजरात सरकार मात्र 400 रूपये की आर्थिक सहायता देती है जबकि राजस्थान में 5000 रूपये दिये जाते हैं और दूसरी
ओर राजस्थान की प्रतिव्यक्ति आय गुजरात से भी आधी है|
देश में मात्र गुजरात ही एक राज्य है जहां अहमदाबाद के मजिस्ट्रेट ब्रह्मभट्ट द्वारा चालीस हज़ार रूपये के बदले भारत के राष्ट्रपति , मुख्य न्यायाधीश, एक अन्य न्यायाधीश और एक एक सुप्रीम कोर्ट के वकील के
नाम वारंट जारी करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में
आया है | ठीक इसी प्रकार मात्र गुजरात राज्य से ही ऐसा अन्य मामला सुप्रीम कोर्ट में आया जहां मजिस्ट्रेट को जबरदस्ती शराब पिलाकर पुलिस ने उसका नडियाद
में सरे बाज़ार जुलूस निकाला गया | ऐसे
राज्य में आम नागरिक की क्या औकात और वजूद है और वह वर्दी धारी की बर्बरता से
कितना सुरक्षित है | क्या गुजरात के ये
कीर्तिमान वहां सुशासन मानने के लिए पर्याप्त नहीं हैं ? बम विस्फोट और साम्प्रदायिक दंगे समय समय पर गुजरात
में भी होते रहते हैं| फर्जी मुठभेड़ में नागरिकों
के मारे जाने के मामलों में भी गुजरात का स्थान सर्व विदित है |
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