Wednesday 2 April 2014

आय चाहे भ्रष्ट साधनों से हो गुजारा भत्ते के लिए गणना की जायेगी

परिवार के न कमानेवाले सदस्यों के भरण  पोषण का नैतिक दायित्व परिवार के कमाने वाले सदस्यों पर माना जाता रहा  है| किन्तु इसे कानूनी रूप देने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता में धारा 125 जोड़कर इसे बाध्यकारी रूप दिया गया है| इस प्रावधान  के अनुसार व्यक्ति की सन्तान, पत्नी व माता पिता जो अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं वे भरण-पोषण प्राप्त करने के अधिकारी हैं|   
शोभा सैनु विरकर ने तलाक याचिका के साथ परिवार न्यायालय स. 3 मुंबई में गुजारा भत्ते के लिए याचिका दायर की और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने दिनांक 7.7.12 को अंतरिम तौर पर शोभा के पति पुलिस कर्मचारी सैनु बाबा विरकर को  8000 रूपये प्रति माह गुजारा भाता अपनी पत्नी व 8000 रूपये बच्चों को देने का आदेश दिया| इसके साथ ही आदेश दिया गया कि वे जिस मकान में वर्तमान में रह रहे हैं उसमें उसकी पत्नी व बच्चे रहते रहेंगे| इस आदेश से असंतुष्ट होकर सैनु बाबा ने  बम्बई उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की| अपील में प्रार्थी शोभा के पति  पुलिसमैन का कहना था कि वह एक पुलिसमैन है और मात्र 15,822 रूपये कमाता है इसलिए इतना अधिक गुजारा भत्ता वह वहन नहीं कर सकता |
उसकी वेतन पर्ची से ज्ञात हुआ है कि उसका सकल मासिक वेतन 26,278 रूपये है जिसमें से सामान्यतया होने वाली कटौतियों के अतिरिक्त 5,883 रूपये सोसाइटी को चुकाने पड़ते हैं| इसके अतिरक्त उसे आवासीय फ्लैट के लिए  भी मासिक क़िस्त चुकानी पडती है यद्यपि उसने फ्लैट  का कोई करारनामा प्रस्तुत नहीं किया |
प्रत्यर्थी शोभा ने कहा  कि फ्लैट तो वर्ष 2004 में लिया गया था जबकि तलाक हेतु आवेदन मई 2011 में व गुजारा भत्ता हेतु आवेदन नवम्बर  2011 में प्रस्तुत किया गया था और ऋण के लिए आवेदन अप्रैल 2011 में में किया गया |  प्रार्थी पुलिस कर्मी ने यह भी कहा कि सोसाइटी की किस्तों के अतिरिक्त उसे 3128 रूपये बैंक को भी क़िस्त देनी है| प्रार्थी ने यद्यपि  2,992 रूपये सोसाइटी को रखरखाव पेटे देने की रसीद पेश की किन्तु उसने 5,883 रूपये वेतन में से कटौती की मांग की |
स्वयम याची प्रार्थी ने अप्रैल 2010 का 1220 रूपये बिजली बिल प्रस्तुत किया जिससे स्पष्ट होता है कि जो व्यक्ति 15,000 रूपये कमाता है वह प्रतिमाह 1200 रूपये की बिजली का उपभोग कर रहा है और बड़े ठाठबाठ  से रह रहा है तथा अपनी आय को तोडमरोड़कर प्रस्तुत कर रहा है | सुनावाई  के दौरान पत्नी शोभा ने बताया कि याची पुलिस वाला होने के नाते रिश्वत लेता है और उसने प्रतिवर्ष ली जाने वाली रिश्वत की राशि भी गणना कर बतायी| याची अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से वास्तव में अधिक आरामदायक जीवन व्यतीत कर रहा था|

संभव है भ्रष्टाचार सम्बंधित कानून के अंतर्गत चाहे याची के विरुद्ध कोई कार्यवाही हो या न हो किन्तु उसकी पत्नी के तर्क व पुलिस अधिकारियों के कार्य की प्रकृति जोकि भ्रष्ट दिखाई देते हैं इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती | पत्नी का यह भी तर्क रहा कि पुलिस अधिकारी के तौर पर आय के अतिरिक्त उसके पास 5 एकड़ कृषि भूमि भी है| राजस्व रिकार्ड से ज्ञात होता है कि इसमें प्याज, कपास, ज्वार और गेहूं उपजता है और भूमि कोई बेकार नहीं बल्कि उपजाऊ है| अत: भूमि भी अच्छी आय का स्रोत है|


इस प्रकार बम्बई उच्च न्यायालय की न्यायाधीश रोशन दलवी ने अपने आदेश दिनांक 30 नवम्बर 2012 से अधीनस्थ न्यायालय का आदेश पुष्ट कर दिया और कहा  कि अधीनस्थ न्यायालय का आदेश उचित है और विद्वान् अधीनस्थ न्यायाधीश ने तथ्यों का सही मूल्यांकन किया है अत: आदेश में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है |  रिट याचिका खारिज कर दी गयी| 

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