दिल्ली उ. न्या. ने सांसदों द्वारा प्रष्न पूछने के बदले धन लिए जाने
के प्रमुख प्रकरण अनिरूद्ध बहल बनाम राज्य में निर्णय दि. 24.09.10 में कहा है कि
सजग एवं सतर्क रहते हुए राश्ट्र की आवष्यकताओं एवं अपेक्षाओं के अनुसार दिन-रात
रक्षा की जानी चाहिए और उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रश्टाचार को उजागर करना चाहिए।
अनुच्छेद 51 क (छ) के अन्तर्गत जांच-पड़ताल एवं
सुधार की भावना विकसित करना नागरिक का कर्तव्य है। अनुच्छेद 51 क (झ) के अन्तर्गत समस्त क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए अथक प्रयास करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य
है ताकि राष्ट्र आगे बढे। प्रत्येक नागरिक
को भ्रष्टाचार मुक्त समाज के लिए भरसक
प्रयास करना चाहिए और भ्रश्टाचार को उजागर करना चाहिए और राज्य प्रबन्धन में समस्त
विषेशतः उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
स्वच्छ न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और अन्य अंग पाना नागरिकों का मूलभूत अधिकार है और इस मूलभूत
अधिकार को प्राप्त करने के लिए जहां भी भ्रश्टाचार पाया जावे उसे उजागर करना
प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है और यदि संभव हो तो सप्रमाण उजागर करे ताकि राज्य
तन्त्र यदि कार्य नहीं करे और भ्रश्ट लोगों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं करे तो
उपयुक्त समय आने पर लोग अपने प्रतिनिधियों को नकार कर कार्यवाही कर सकें अथवा
जन-जागृति के माध्यम से उनके विरूद्ध कार्यवाही के लिए राज्य को विवष कर सकें। सत्तासीन
लोगों के विरूद्ध शिकायतों पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो और पुलिस किस प्रकार कार्यवाही करती है
कहने कि आवश्यकता नहीं है । सीटी बजाने-सचेतकों
का हश्र इस राष्ट्र के लोग देख चुके हैं, उन्हें परेशान किया जाता है अथवा मार दिया जाता है अथवा झूठे आपराधिक
प्रकरणों में बांध दिया जाता है। यदि भ्रष्टाचार ध्यान में आ जावे तो भी पुलिस प्रथम सूचना
रिपोर्ट दर्ज करने में रूचि नहीं रखती। यदि पुलिस वास्तव में रूचिबद्ध होती तो दूरदर्शन
चैनलों पर टेप गूजंने के बाद ठीक अगले दिन
ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर सकती थी। पुलिस ने, बड़ी
संख्या में सांसदों के नाम टेप में दिखायी दिए उनको छोड़ते हुए, मात्र माध्यस्थ लोगों और उलटे याची तथा एक दो अन्यों के विरूद्ध प्रथम
सूचना रिपोर्ट दर्ज की और सत्तासीन व्यक्तियों के लिए ‘स्वामी
भक्त’ की की तरह कार्य किया है ।स्मरण रहे कि
उक्त प्रकरण में स्वयं स्टिंग ऑपरेशन करने वालों के विरुध पुलिस ने मामला दर्ज कर
लिया था जबकि सांसदों के विरुध पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। दिल्ली उ.
न्यायालय ने स्टिंग ऑपरेशन करने वाले प्रार्थियों
के विरुध दर्ज प्रकरण को निरस्त कर दिया।
No comments:
Post a Comment