Sunday 2 November 2014

दुर्जनों का बल सज्जनों को सताने के लिए होता है

दुर्जनों का बल सज्जनों को सताने के लिए होता है   

फेसबुक पर एक मित्र ने कहा कि जब पुलिस एक आम नागरिक को यातना देकर सब कुछ उगलवा सकती है तो फिर इन काले धन वालों के लिए यही सब कुछ क्यों नहीं करती| किन्तु पुलिस की क्या औकात है शायद उन्हें ज्ञात नहीं है| नीतिशास्त्र में कहा गया है दुर्जनों का बल सज्जनों को सताने के लिए होता है| एक पुलिस वाले से बातचीत में किसी अपराधी के भाग जाने का जिक्र किया तो पुलिस वाले ने कहा कि भागकर वह कहाँ जायेगा पुलिस पूरे खानदान को बुला लेगी| जनाब यह है पुलिसिया अंदाज और रोब|
किन्तु क्या पुलिस सभी के साथ ऐसा कर पाती है? आपात स्थिति के समय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का युवा बेटा और बेटी रात को सिनेमा देखकर आ रहे थे और उनको पुलिस वालों ने रोक लिया तथा थाने ले गए| पुलिस वालों के देखने में वे बच्चे किसी संभ्रांत और कुलीन परिवार के लगे इसलिए सोचा मुर्गा फंस गया आज अच्छी बरकत होगी| उस समय मोबाइल नहीं थे इसलिए बच्चों को उनके पिताजी से फोन पर बात करवाई गई ताकि माल मिल सके| सेना के अधिकारी अपने दल बल के साथ थाने आये  और पूरे थाने के स्टाफ को ही ट्रक में डालकर मिलिट्री एरिया में ले गए| राज्य के मुख्य सचिव को फ़ोन किया और कहा कि ये लोग मिलिट्री एरिया में रात को घुसपेठ करते पकडे गए हैं इन्हें गोली से उड़ा देंगे | आखिर समझाईश से मामला शांत हुआ|  
इसी तरह एक अति उत्साही थानेदार के पास वार्ता करने आये एक नगरपालिका के भूतपूर्व अध्यक्ष के उन्होंने  थप्पड़ रसीद कर दिया जोकि उनकी भाषा और संस्कृति है| उन नेताजी ने वहीं कह दिया कि इस थप्पड़ का बदला 3 दिन के भीतर ही ले लेंगे, याद रखना| एक रात को थानेदार महोदय गश्त पर निकले और उनके चारों और गाड़ियां लगाकर बिलकुल फ़िल्मी अंदाज में अपहरण कर लिया गया| उनके साथ वाले सब पुलिस वाले अलग हो गये| सात दिन तक उन्हें गुप्त स्थान पर रखा गया और पैरों के तलवों को पीट पीट कर चलने योग्य भी नहीं छोड़ा| आखिर में उन्हें यह कहते हुए छोड़ा गया कि हम चाहते तो तुम्हें मार भी सकते थे किन्तु हम चाहते हैं कि तुम्हें यह जीवन भर याद रहे इसलिए जीवित छोड़ रहे हैं| उन्होंने कोई रिपोर्ट तक दर्ज नहीं करवाई और बाद में जिला पुलिस अधीक्षक को पता चला तो उन्होंने थानेदार महोदय से कहा कि तुमने मुझे बताया ही नहीं| थानेदार महोदय ने जवाब दिया -साहेब बताकर क्या करता पुलिस की बदनामी होती| बाद में वही थानेदार महोदय एक जगह शराब की भट्टी पर दबिश देने जीप लेकर पहुँच गये|  वहां उपस्थित लोगों ने उन्हें समझाया कि आप अपनी गाडी को स्टार्ट करके उलटी ही वापिस ले जाएँ वरना भट्टी में लकड़ियों की जगह आपको झोंक देंगे| थानेदार महोदय बड़े आज्ञाकारी निकले और कहना मानके जीप को बेक करके लौट आये|   

आम निहत्थे नागरिक को पुलिस फर्जी मुठभेड़ में मार देती है और पुलिस को खरोंच तक नहीं आती और जब असली मुठभेड़ होती है तो विकास दुबे जैसे लोग पुलिस को उसकी औकात बता देते हैं |    


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