Tuesday 6 March 2012

इच्छामृत्यु


सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा रामचंद्र शम्बाग बनाम भारत संघ ( मनु/सुको /०१७६/२०११) के निर्णय में कहा है कि के ई एम हॉस्पिटल मुंबई की स्टाफ नर्स पर १९७३ में यौन हमला हुआ था और गला घोंटा गया था जिस कारण वह अंधी, बहरी, निष्क्रिय  और लकवाग्रस्त हो गयी| एक्स ने उसके मित्र के तौर पर  १९९९ में इच्छामृत्यु के लिए एक याचिका दायर की कि उसे ( स्टाफ नर्स को ) ससम्मान मरने दिया जाय| पीड़ित का ३७ वर्ष की  लंबी अवधि तक उपचार के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई | उसके मातापिता मर चुके थे और अन्य निकट सम्बन्धी कोई रूचि नहीं रखते थे | के ई एम हॉस्पिटल स्टाफ  ही आश्चर्यजनक रूप से उसकी देखभाल कर रहा था|एक्स मात्र कभी-कभार ही उसे देखने अस्पताल जाता था अतः हॉस्पिटल स्टाफ ही उसका वास्तविक मित्र था| याची का जीवन अनुमत किया गया फिर भी यदि समय परिवर्तन से हॉस्पिटल स्टाफ  कालांतर में अपना मानस बदले तो जीवन के लिए मदद वापिस लेना चाहे तो उच्च न्यायालय को आवेदन करे| याची की याचिका निरस्त कर दी गयी| न्यायलय ने आगे इच्छामृत्यु के सम्बन्ध में विस्तृत दिशानिर्देश भी दिए|

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