Thursday 3 March 2011

भ्रष्टाचार और सार्वजानिक पद -2

झारखण्ड राज्य में जब दागी  श्री राजीव रंजन और श्री सच्चिदानन्द अधिकारी को झारखण्ड राज्य विद्युत मण्डल के अध्यक्ष एवं सदस्य बना दिये गये तब  झारखण्ड उ. न्या. में दायर जनहित याचिका - अरविन्द कुमार राय बनाम झारखण्ड राज्य निर्णय में कहा गया है कि  समाचार पत्रों ने भी इन व्यक्तियों के पूर्व जीवन पर कथाएं व वृतचित्र प्रकाषित करना प्रारम्भ किया और विभिन्न रंगो में इन्हें चित्रित किया। इन प्रकाषनों ने कुछ अन्देषों को और बढावा दिया (इन प्रकाषनों की विशय-वस्तु को देखते हुए) तथा जनता में यह विचार बना कि उनके भूत एवं प्रमाणित अभिलेख को देखते हुए जिन्हें इन पदों के लिए आहुत किया गया है वे उसकी आवष्यकताओं के अनुसार तथा अनुरूप बेदाग,उच्चतम गुणवान, असंदिग्ध एवं विष्वसनीय प्रत्याषी साबित नहीं हो सकते है । जैसा कि नवोदित झारखण्ड राज्य की जनता सुखद उज्जवल स्थिति की आषा और राज्य की उन्नति तथा वैभव के प्रति उच्चाकांक्षा एवं लोक भावना से ओतप्रोत थी, कि राज्य ऐसे लोगों की नियुक्ति उन पदोें पर न करें जिनकी दागदार छवि, कंलकित  या संदिग्ध सत्यनिश्ठा या खण्डनीय विष्वसनीयता हो ताकि राज्य षासकीय एवं अन्य क्षेत्रों में  प्रभावी एवं भ्रश्टाचार मुक्त प्रषासन आधारित आदर्ष राज्य प्रमाणित हो । झारखण्ड राज्य विद्युत मण्डल के अध्यक्ष एवं सदस्य पद पर श्री राजीव रंजन और श्री सच्चिदानन्द अधिकारी की नियुक्ति निरस्त और निश्प्रभावी की जाती है। राज्य को बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्य के पदों पर नई नियुक्तियां करने की प्रक्रिया पुनः प्रारम्भ करने के निर्देष दिये जाते हैं।

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