Friday 4 March 2011

दोषपूर्ण अवरोध

वोरूगन्ती को अपने खेत में बैल व हल आदि ले जाते हुए मदाला आदि द्वारा रोकने पर निचले न्यायालयों द्वारा दोशी पाया गया तथा मद्रास उ. न्या. में दायर  अपील याचिका - मदाला पेरिहा बनाम वोरूगन्ती ए.आई.आर 1954 मद्रास 247   में निर्णय में कहा गया है कि एक व्यक्ति की इच्छा के विपरीत उसकी स्वतन्त्रता का दमन अपराध है। इन सभी निर्णयों का समेकित सार यह है कि जिस दिषा में पीड़ित जाना चाहता है उससे भिन्न मार्ग जाने के लिए निर्दिश्ट करना, आवष्यक रूप से दोशपूर्ण अवरोध के गठन के लिए  पर्याप्त है। बाधक की भौतिक उपस्थिति आवष्यक नहीं है, न ही वास्तविक हमला आवष्यक है और एक व्यक्ति को जहां जाने   का अधिकार है उस स्थान से बाहर रहने के लिए अवरोधित करने हेतु तुरन्त हानि का भय दिखाना इस धारा के अन्तर्गत अपराध के गठन के लिए पर्याप्त है। जहंा और जब कोई  जाना चाहे जिसका उसे विधिपूर्ण अधिकार हो, की स्वतन्त्रता में लघुतम अवैध अवरोध उचित नहीं ठहराया जा सकता और दण्डनीय है। मद्रास उ. न्यायालय द्वारा अभियुक्त की दोशसिद्धि उचित ठहरायी गयी ।

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