Sunday 20 March 2011

न्यायिक आचरण-2

कुछ टस्टों के माध्यम से कर निर्धारणों में आयकर अधिकारी के पद पर कार्य करते हुए ए. एन. सक्सेना  अनुचित लाभ देने का दोशी  पाये गये तथा उनके विरुद्ध प्रारंभ की गयी अनुशानिक कार्यवाही को सर्विस  टाईब्यूनल द्वारा रोक दिया गया था। सरकार द्वारा  सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका  भारत संघ बनाम ए. एन. सक्सेना ( ए.आई.आर. 1992 स. न्या. 1233) में कहा गया कि यदि इतने गंभीर मामलों में अनुषासनिक कार्यवाही हल्के फुल्के ढंग से रोक दी जाय, जैसा कि अधिकरण द्वारा किया जाना प्रतीत होता है तो किसी भी दोशी को बुक करना अत्यन्त कठिन हो जावेगा। हमारी सम्मति में यह तर्क अषुद्ध है कि तात्पर्यित न्यायिक या अर्द्ध न्यायिक कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में कोई अनुषासनिक कार्यवाही नहीं की जा सकती ..किन्तु ऐसा नहीं है कि ऐसी कार्यवाही बिल्कुल नहीं की जा सकती। निषेधज्ञा हटाकर शीघ्र सुनवायी के आदेश प्रदान किये गये ।

No comments:

Post a Comment