Monday 21 March 2011

लोक सेवकों का दायित्व

नारायण दिवाकर ने रजिस्ट्रªार सहकारी समितियां के पद पर कार्य करते हुए गंभीर आपराध किये जिसके लिए 30 एफ आइ आरें दर्ज हुईं। नारायण दिवाकर द्वारा सी बी आई के समक्ष  जांच हेतु उपस्थित नहीं होने व भूमिगत होने पर वारंट जारी हुआ था। नारायण दिवाकर ने इस कार्यवाही को रद्द करने  हेतु दायर याचिका  में दिल्ली उ. न्या. ने नारायण दिवाकर बनाम सी बी आई के निर्णय दि 07.03.06 में कहा कि सद्विष्वास का विलोम दुर्विष्वास या दुर्भाव है और इसलिए यदि यह प्रष्न उठे कि क्या रजिस्ट्रार सहकारी समितियां या अन्य अधिकारी ने असद्भावपूर्ण कार्य किया तो अधिनियम की धारा 95 में उल्लेखित सुरक्षा उपलब्ध नहीं होगी तथा केन्द्रीय अन्वेशण ब्यूरो सहित कोई सक्षम प्राधिकृत संाविधिक अन्वेशण एजेन्सी किसी प्रष्न की तह में जा सकती है। इस न्यायालय के मत में याची को कथित प्रावधान की छत्रछाया मंे षरण लेने और समाज में षाखाओं की तरह पर्याप्त विस्तृत मामलों में अन्वेशण को नश्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।  याचिका  निरस्त कर  दी गयी।

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