Thursday 10 March 2011

न्यायिक संरक्षण में भ्रष्टाचार के नए आयाम

सी.बी.आई. ने धारा 11 व 12 भ0 नि0 के अन्तर्गत रितु टैगोर के विषेश न्यायालय में चालान पेष किया गया जिसमें आगामी पेषी 6 अप्रेल निर्धारित की गई है। 45 पृश्ठीय चालान में मुख्य आरोप है कि निर्मल यादव ने सम्पति सम्बन्धित मामले में अत्यधिक फुर्ती दिखाई तथा हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल द्वारा प्रतिनिधित मामले, जिसमें कि अपने निकट मित्र दिल्ली के व्यवसायी रविन्द्र सिंह के माध्यम से रूपये 15 लाख का भुगतान किया था, में पक्षपोशण किया । आरोप है कि निर्णय की तिथि दिनांक 11.03.2008 को रविन्द्रसिंह टेलीफोन द्वारा बंसल, न्यायाधीष यादव व प्रतिपक्षी मितल से सम्पर्क में था। पंचकुला के सेक्टर 16 में प्लाट सं0 601 जिसेकि मितल को बेचने का करार हुआ था के विशय में वीणा गोयल व सेवा निवृत मजिस्ट्रेट मितल के मध्य विवाद था ।
 मितल ने कई दौर के मुकदमों के बाद निचले अदालत में मामला जीता था। अरूण जैन नामक वरिश्ठ अधिवक्ता ने गोयल की अपील याचिका तैयार की थी किन्तु तत्पष्चात जैन से अनापति लेकर बंसल को इस कार्य हेतु लगाया गया था। प्रकरण दिनांक 01/2/2008 को न्यायाधीष निर्मल यादव के समक्ष सुनवाई हेतु आया था किन्तु उस दिन वह डिवीजन बैंच में व्यस्त थी।अतः पेषकार द्वारा मामला 03/03/2008 के लिए स्थगित किया गया किन्तु डिवीजन बैंच से लौटने के बाद न्यायाधीष निर्मल यादव ने इसे 04/02/08 को सुनवाई हेतु तय कर सुनवाई की एवं आदेषार्थ सुरक्षित रखा। मामला दिनांक 11/03/08 को वीणा गेायल के पक्ष में निर्णित किया गया।
 सी.बी.आई. का कहना कि मामलें में अतिषीघ्रता से निर्णय दिया गया। आरोप है कि अगस्त 2008 में एक व्यापारी रविन्द्र सिंह ने गलतीवष रिष्वत की राषि रूपये 15 लाख अन्य महिला न्यायाधीष निर्मलजीत कौर के यहां पहुंचा दी थी जिसने पुलिस को रिपोर्ट कर दिया था। पुलिस पड़ताल में पाया गया कि धन वास्तव में न्यायाधीष यादव के लिए भेजा गया था। चण्डीगढ पुलिस ने मात्र 9 दिन में तथ्यान्वेशण कर संजीव बंसल, राजीव गुप्ता व रविन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया जिन्होंने बताया कि यह राषि निर्मल यादव के लिए थी। मोबाईल कॉल डिटेल से भी तथ्यों की पुश्टि हुई ।  पंजाब के गवर्नर एस.एस. रोडरिगस ने पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष तीर्थसिंह ठाकुर के ध्यान में लाते हुए दिनांक 26/08/08 को सी.बी.आई. से जांच का आग्रह किया था।

सूचना का अधिकार के अन्तर्गत एक आवेदन केे जबाब में खुलासा हुआ कि रिष्वत के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट तथा केन्द्र सरकार द्वारा क्लीन चिट देने के दो माह बाद पंजाब के गवर्नर, सी.बी.आई. तथा गोखले कमेटी ने निश्कर्श निकाला कि निर्मल यादव को वास्तव में रूपये 15 लाख दिए गए थे। अतिरिक्त महाधिवक्ता बंसल ने तत्पष्चात त्यागपत्र दे दिया था जबकि निर्मल यादव नैतिकता के आधार पर अवकाष पर चली गई थी। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधिपति बालाकृश्णन ने अलग से न्यायाधीषों की कमेटी से जांच हेतु अनुषंसा की थी किन्तु मुख्य न्यायाधिपति बालाकृश्णन ने सरकार से कोई कार्यवाही नहीं करने की सलाह दी। मुख्य न्यायाधिपति बालाकृश्णन की अनुषंसा पर गठित गोखले कमेटी की 92 पृश्ठीय रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायाधीष निर्मल यादव पर लगाये गये आरोप सारभूत व गंभीर है और न्यायाधीष यादव को हटाने की कार्यवाही प्रारम्भ करने हेतु पर्याप्त है।
सूचना का अधिकार के अन्तर्गत उजागर हुआ है कि यद्यपि केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने सीबीआई से कहा कि संजीव बंसल रविन्द्रसिंह और निर्मल सिंह द्वारा न्यायाधीष यादव के साथ मिलकर शडयन्त्र कर अपराध करने का नाम मात्र का भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। गत वर्श मार्च में सी.बी.आई. द्वारा अभियोजन स्वीकृति के अभाव में चण्डीगढ सीबीआई न्यायालय से मामले को बन्द करने की प्रार्थना की जिसे न्यायालय द्वारा अस्वीकार कर दिया था। भारत के मुख्य न्यायाधिपति कपाड़िया की राय पर महामहिम राश्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा दिनांक 28/02/2011 को अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई।

1 comment: