राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान राज्य बनाम लालाराम (2002 (1) डब्ल्यू एल सी 120 ) में कहा है कि वर्तमान तथ्यों के मामलों से स्पष्ट है कि एक व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए एक कानून अथवा सरकारी नीति को लागू करने के लिए और दूसरी और कानून का उल्लंघन करने के लिए जो कि वास्तव में कानूनी उल्लंघन पर निर्भर करता है दोनों में अन्तर करना चाहिए। कानूनी उल्लंघन इस प्रकार उत्पन्न नहीं होते कि एक अधिकारी पर मामले दर्ज करने का दायित्व डाला जा सके और वह न्यूनतम संख्या में इस प्रकार का उल्लंघन करने का पता लगा सके। सतर्कता से कार्य करना और मामलों को दर्ज करना आवश्यक रूप से समान एवं एक ही बात नहीं है। एक व्यक्ति को कानून के उल्लंघन करने के लिए पर्याप्त मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रेरणा नहीं दिखायी जा सकती जिससे कि आंकड़ों के प्रदर्शन द्वारा कानून की प्रभावशीलता की साज-सज्जा हो। यह बुरा शासन है तथा सामाजिक परिवर्तन के प्रभावी माध्यम के रूप में कानून के लिए सम्मान जनक स्थिति के विपरीत है। जिससे यह झलक मिलती है कि कानूनी स्थिति को मान्यता नहीं मिलेगी और लोगों के द्वारा इसकी बड़े पैमाने पर अवहेलना की जायेगी।
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