केन्द्रीय सूचना आयोग ने परिवाद सं0 सीआइसी /डब्ल्यू बी/ सी/2009/000352 में कहा है कि उपराष्ट्रपति का सचिवालय भारत सरकार के गजट में प्रकाशित अधिसूचनानुसार धारा 27 के अन्तर्गत लोक प्राधिकारी है तद्नुसार उपराष्ट्रपति सचिवालय को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 19 (8)(ए) के अन्तर्गत निर्देश दिया जाता है कि सूचना चाहने के प्रारूप को इस प्रकार संशोधित करे कि यह अधिनियम तथा उसके अधीन बनाये गये किसी भी नियम के प्रावधान टकराव में न आये।
सुप्रीम कोर्ट ने सचिव सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय बनाम बंगाल क्रिकेट एसोसिअशन (1995 एआईआर 1236) में कहा है कि लोकतन्त्र मुक्त विचार विमर्श से लोगों की सरकार है। लोकतांत्रिक शासन स्वयं अपने नागरिकों की समाज के मामलों में सक्रिय तथा बुद्धिमतापूर्वक भागीदारी की मांग करता है। लोगों की भागीदार के साथ सार्वजनिक विचार विमर्श मूल तत्व है तथा लोकतन्त्र एक तर्कसंगत प्रक्रिया है जो कि इसे दूसरी शासन प्रणालियों से भिन्न बनाती है। एक तरफा सूचना, सूचना नहीं होना, गलत सूचना सभी समान रूप से असूचित नागरिकता को जन्म देती है जो कि लोकतन्त्र को षड्यन्त्र बना देती है।
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