बम्बई उच्च न्यायालय ने डी.पी. भपू बनाम पारसमल नेमाजी भिमाणी (1976 (78)बीओएमएलआर500) में कहा है कि जहां नष्ट होने या छेड़छाड़ करने का भय हो वहां ( वस्तु)प्रस्तुत करने के आदेश दिये जाने चाहिये। जहां निरीक्षण का अधिकार हो निरीक्षण करने की अनुमति दी जाने चाहिये और प्रतियां वहां दी जानी चाहिये जहां निरीक्षण तथा ऐसी प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार तो यदि अधिकार समय विशेष के बिन्दु पर उठता है तो निरीक्षण या प्रतियां उस समय से पहले देने का आदेश नहीं दिया जा सकता। नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त कानूनी नियमों को प्रतिस्थापित नहीं करते हैं बल्कि उसकी पूर्ति मात्र करते हैं। जहां क्षेत्र कानूनी प्रावधानों से आच्छादित हो वहां नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों से मदद लेने की कोई गुंजाइश नहीं है।
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