Wednesday 21 December 2011

सूचना का अधिकार में हिंदी में अनुदित प्रति देने के आदेश प्रदान किये

उतराखण्ड उच्च न्यायालय ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष  आयोग बनाम उतराखण्ड राज्य सूचना आयोग के निर्णय दिनांक 27/03/10 में कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को भारतीय संविधान के आलोक के साथ-साथ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के साथ पढ़ने से बड़ा स्पष्ट एवं जोरदार कथन मिलता है कि वर्तमान प्रकरण में राज्य उपभोक्ता आयोग जैसे ही अपेक्षा की गई, अपने आदेश /निर्णय की अनुदित प्रति देने के लिए कर्तव्य बाध्य था। लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा उनके परिचय तथा संस्कृति की प्रतिनिधि है। यह राष्ट्र  के साथ-साथ राज्य के परिचय के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमें हमारी भाषा पर गर्व होना चाहिए। हिन्दी मात्र संघ की ही राज भाषा नहीं है अपितु यह उतराखण्ड की भी राज भाषा है। जिन्होंने भारत के संविधान का एकाकी निर्माण किया उनके लिए भी भाषा जटिल प्रश्न रही है। किन्तु भारत के संविधान को लागू हुए 60 वर्ष  हो गये है। अब किसी के मानस में विशेषकर  राज्यों में राज भाषा की स्थिति के विषय में लोक प्राधिकारियो के -संदेह नहीं रहना चाहिए । रिट याचिका गुणहीन है और इसलिए निरस्त की जाती है। याची को आज से दो माह के भीतर अनुदित प्रति देने के आदेश  प्रदान किये जाते हैं।

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