Wednesday 1 February 2012

अधिग्रहण के विरुद्ध अपील उचित समय में हो

बांडा विकास प्राधिकरण बनाम मोतीलाल अग्रवाल (मनु/सुको/0515/2011) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अधिग्रहित भूमि को बांडा विकास प्राधिकरण ने  आवश्यक विकास के संपन्न करने के पश्चात रिहायसी योजना को लागू करने के लिए काम में लिया| प्लाटों  का आवंटन किया तथा आर्थिक रूप से कमजोर व निचले आय  वर्ग के लोगों के लिए फ्लैट बनाये और सामान्य एवं आरक्षित श्रेणी के लोगों को फ्लैट  आवंटन के लिए आवेदनपत्र आमंत्रित किये और पात्र लोगों को आवंटित किये | इस दौरान बांडा विकास प्राधिकरण ने मात्र भारी व्यय ही नहीं उठाया बल्कि तृतीय पक्षकारों के हित में हक सृजित किया| इस दृश्यावली में धारा 6(1)घोषणा जारी होने से प्रकशन में 9 वर्ष व पंचाट पारित होने में 6 वर्ष का समय उच्च न्यायालय द्वारा प्रत्यर्थी संख्या 1 को साम्य राहत  स्वीकार करने से पूर्व पर्याप्त से भी अधिक समझा जाना चाहिए था |


इसके अतिरक्त सम्बंधित राज्याधिकारियों का स्थल पर जाना व कब्ज़ा देने का पंचनामा तैयार करना यह दर्ज करने के लिए पर्याप्त था कि वास्तव में सम्पूर्ण भूमि का कब्ज़ा परिदत किया जा चुका था और बांडा विकास प्राधिकरण को कब्ज़ा सौंप दिया गया था| एकबार जब यह धारित कर दिया गया कि बांडा विकास प्राधिकरण को दिनांक 30.06.01 को कब्ज़ा सौंप दिया गया तो उच्च न्यायालय का आदेश कि धारा 11 क की अनुपालना न करने से अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो गयी हो, टिक नहीं सकता| उच्च न्यायालय का आच्छेपित आदेश निरस्त कर दिया गया और अपील अनुमत की गयी|

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