Friday 10 February 2012

गारंटर का दायित्व मूल ऋणी के सहविस्तृत है

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष निर्मल जैन बनाम प्रदेशीय इंडस्ट्रियल अंड इन्वेस्टमेंट कॉर्प ऑफ उप्र (मनु/सुको/०४६३/२०११ ) में विचारणीय प्रश्न था कि क्या बैंक एवं वितीय संस्था अधिनियम की धारा ३४ के मद्देनजर कॉर्प . उप्र लोक धन (बकाया वसूली) अधिनयम के अंतर्गत ऋण की वसूली हेतु कार्यवाही कर सकती है| धारित किया गया कि ऋण वसूली अधिनियम  की  धारा ३४(२) में  उप्र लोक धन (बकाया वसूली) अधिनियम का नाम नहीं होने से इस अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही नहीं की जा सकती| न्यायालय के समक्ष अन्य विचारणीय मुद्दा यह भी था कि गारंटर  का मामला  भी मूल ऋणी से भिन्न नहीं है, एक गारंटर ऋणी भी है | गारंटर का दायित्व मूल ऋणी के सहविस्तृत  है| राज्य वित निगम इस बात के लिए स्वतंत्र है कि वह मूल ऋणी के साथसाथ गारंटर  या संयुक्त रूप से वसूली के लिए कार्यवाही करे| भूराजस्व की तरह वसूली का नोटिस निरस्त कर याचिका अनुमत की गयी|

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