Friday 3 February 2012

दुर्भावपूर्ण याचिका में खर्चा लगाया गया


उत्तराँचल उच्च न्यायालय ने जगपाल सिंह बनाम उत्तराँचल राज्य (मनु/उत्त/0374/2011) के निर्णय में कहा है कि  1951 के सेवा नियमों में तदर्थ आधार पर अपीलार्थियों  की नियुक्ति को अधिकृत नहीं करता है| अपीलार्थियों को मात्र सेवा आयोग द्वरा चयन प्रक्रिया संपन्न करने के बाद ही नियुक्त किया जा सकता है चूँकि इस हेतु व्यक्ति उपलब्ध नहीं थे अतः चयनित मात्र 12 महीने के लिए नियुक्त किये गए| इन परिस्थितियों में जिन दो अभ्यर्थियों की नियुक्ति का आयोग ने अनुमोदन किया वे अपनी प्रारम्भिक नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता के पात्र नहीं हैं| जबकि दूसरे अभ्यर्थी 1979 के नियमों के अनुसरण में अपनी नियमितीकरण की तिथि से वरिष्ठता के पात्र  हैं|
वरिष्ठता सूची 2001 में बनायीं गयी और उसके तुरंत बाद ही इसे अपीलार्थियों ने यह कहते हुए चुनौती दे दी कि वे तदर्थ आधार पर प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से ही वरिष्ठता की गणना के पात्र हैं और उस मामले में हस्तक्षेप चाहा जो 1986 में निपट चुका था| इस याचिका का सम्पूर्ण उद्देश्य और लक्ष्य दुर्भावपूर्ण था| इस कारण से , अन्य बातों के साथसाथ, रिट ख़ारिज की जाती है और उदाहरणात्मक क्षतिपूर्ति के तौर पर प्रत्येक याची पर 300000 रुपये खर्चा लगाया जाता है ताकि अन्य लोगों को ऐसा कदम उठाने से रोकने के लिए उदाहारण बन सके|

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