Wednesday 15 February 2012

द्वितीयक साक्ष्य का साक्ष्य मूल्य और वजन साक्ष्य देने के बाद निर्धारित किया जा सकता है

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगतराम बनाम अशोक कुमार के निर्णय दिनांक २२.०३.२०१० में स्पष्ट  किया है कि  यदि दस्तावेज विपक्षी के कब्जे में हों और  मात्र विपक्षी द्वारा इस बात की इन्कारी कि दस्तावेज उसके कब्जे में नहीं हैं तो इससे याची को अपना अधिकार  द्वितीयक साक्ष्य से साबित करने से नहीं रोका जा सकता| द्वितीयक साक्ष्य का साक्ष्य मूल्य और वजन साक्ष्य देने के बाद निर्धारित किया जा सकता है|

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