Monday 20 February 2012

विशेष परिस्थितियों में मृत्यु दंड का विकल्प पूर्ण आजीवन कारावास


श्री रमेश कुमार अग्रवाल अपने परिवार- पत्नि, तीन पुत्रियों और एक पुत्र मास्टर प्रथम- के साथ दिल्ली में अपने मकान की दूसरी मंजिल पर रहते थे| उन्होंने अपने ड्राइवर जीतू की सिफारिश पर संजय नामक एक नौकर को पांच दिन पूर्व ही काम पर रखा था| संजय (अभियुक्त) उनके निवास की छत पर निर्मित एक कमरे में रहता था| घटना के दिन वे अपनी पत्नि  और बच्चों के साथ टेलीवीजन देख रहे थे| लगभग रात्री के 10 बजे उसके तीनों बच्चे पुत्री एक्स ,वाई और (मृतक) पुत्र मास्टर प्रथम अपने कमरे में चले गए जबकि अभियुक्त उनके कमरे में 11.15  बजे तक रहा| अभियुक्त टेलीवीजन देखते हुए उनके पैर दबाता रहा और तत्पश्चात चला गया| श्री अग्रवाल और उनकी पत्नि सो गए| लगभग रात्रि के 12.45  बजे उनकी पुत्री एक्स खून से सनी हुई और दर्द से कराहती हुई अचानक उनके कमरे में आई |

उसने उनको बताने के बाद  कि अभियुक्त ने उसे चोट पहुंचाई है,  बिस्तर पर गिर पड़ी और बेहोश  हो गयी| इसी बीच वाई जोकि खून से सनी हुई थी वह भी आ गयी और उसने बताया कि अभियुक्त ने उसको व प्रथम को चोट पहुंचाई है जिस पर श्री अग्रवाल व उनकी पत्नि अपने बच्चों के कमरे की ओर दौड़े| वहाँ उन्होंने देखा कि प्रथम खून के तालाब के बीच में पड़ा है और उसकी गर्दन में चाकू फंसा हुआ है| यह देखने के बाद उन्होंने चिल्लाहट की और अपने बच्चों को पड़ौसियों और रिश्तेदारों की मदद से सुन्दरलाल जैन अस्पताल ले गए| मास्टर प्रथम को पूर्व में ही मृतक  घोषित कर दिया गया| दोनों पुत्रियों की हालत भी नाज़ुक बताई गयी| अभियुक्त ने प्रथम को मार दिया था और दोनों पुत्रियों पर प्राण घातक हमला किया था|

तत्पश्चात अभियुक्त घर से गायब हो गया| इस बीच घायल पुत्री एक्स का अस्पताल में ओपरेशन हुआ और डॉ सीमा पाटनी ने  रिपोर्ट तैयार की जिसमें कहा गया कि उसकी छाती पर चाकू की कई चोटें आयीं और उसके शरीर पर 10 घाव पाए गए| डॉ सीमा ने यह भी लिखा कि उसके शरीर पर पाई गयी चोटें खतरनाक प्रकृति की हैं|
आपराधिक  न्याय तंत्र रात्रि को 1.05 पर सक्रिय हो गया जब मोबाइल से सूचना पर पुलिस कट्रोल रूम में इस आशय की प्रविष्टि दर्ज कर ली गयी थी| हैड कानिस्टेबल जय कुमार ने यह सूचना तुरंत ही पुलिस थाना रूप नगर को भेज दी | सम्बंधित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अपने निर्णय दिनांक 04.10.08 से भारतीय दंड संहिता की धारा 302(हत्या), 307(हत्या का प्रयास), 376( बलात्कार), 379(चोरी)  के अंतर्गत अभियुक्त को दोषी पाया| यद्यपि संजय पर धारा 392(लूट  ) का आरोप था किन्तु  उसे कम गम्भीर आरोप यानी धारा 379 के अंतर्गत दोषी पाया गया| जहाँ तक दंड का प्रश्न था अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सख्ततम दंड मृत्यु दंड से दण्डित करने हेतु आदिष्ट किया और मामला राज्य बनाम संजय दास पुष्टि हेतु दिल्ली उच्च न्यायालय भेजा गया| उच्च न्यायालय के सामने अभियुक्त पक्ष की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि प्रथम की माँ के बयानों में अंतर है अतः उसे विश्वसनीय नहीं माना जा सकता| किन्तु न्यायालय ने कहा कि  एक साक्षी यद्यपि पूर्णत सत्य बोल  सकता है किन्तु न्यायालय के वातावरण से घबरा सकता है और प्रति परीक्षा से घबराने पर हतास हो सकता है जिस कारण वह घटनाओं की क्रमिकता के सम्बन्ध में भ्रमित हो सकता है और उस समय अपनी कल्पना के आधार पर पूर्ति करना संभव है|
उच्च न्यायालय के सामने अपील एवं मृत्यु दंड पुष्टि रेफरेंस दोनों पहुंचे और उस पर सुनवाई की गयी| उच्च न्यायालय ने मास्टर  प्रथम की हत्या, कुमारी एक्स की हत्या के प्रयास और उसके साथ बलात्कार के अभियोग का दोषी पाया| कुमारी वाई की हत्या के प्रयास के अभियोग को संशोधित कर गंभीर चोट पहुँचाने का दोषी पाया| उसे धारा 379 के आरोप के दोष से मुक्त कर दिया गया| दंड के विषय में उच्च न्यायालय का विचार था कि अभियुक्त की उम्र अपराध के समय 20 वर्ष के लगभग रही है और वह एक बच्ची का पिता भी है| बच्ची के संरक्षण के लिए पिता के साये की आवश्यकता है| इन परिस्थितियों को देखते हुए मास्टर प्रथम की हत्या के अभियोग में आदेश दिनांक 27.10.09 से मृत्युदंड के स्थान  पर इस निर्देश सहित आजीवन कारावास से दण्डित किया गया की उसे 25 वर्ष की अवधि से पूर्व रिहा नहीं किया जायेगा| अन्य अभियोगों के सम्बन्ध में उपरोक्तानुसार अधिकतम दंड रखा गया और मृत्यु दंड की पुष्टि से मना कर दिया गया|


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