Thursday 23 February 2012

असामान्य क्षेत्राधिकार का प्रयोग आपवादिक और न्यायहित मात्र में हो

बी आर सुरेन्द्रनाथ सिंह बनाम उपनिदेशक खान एवं भूगर्भ विभाग कर्नाटक (मनु/ सुको /०३७४/२०११) के मामलें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अपीलार्थी( खनन पट्टाधारी) के विरुद्ध अवैध खनन की शिकायत की गयी| प्रत्यर्थी ने पाया कि लगभग एक लाख टन लोह अयस्क अवैध रूप से निकली गयी है और यह अवैध खनन की गयी सामग्री अपीलार्थी की भूमि पर रखी गयी है | शिकायत के अनुसरण में प्रत्यर्थी विभाग के अधिकारीगण ने खनन पट्टे को देखा और इसे अवैध खनन पानेपर जब्त कर और संगृहीत लिया| प्रत्यर्थी संख्या  १ ने लोह अयस्क को नीलाम करने के लिए अधिसूचना निकली| अधिसूचना को रिट याचिका के माध्यम से अपीलार्थी द्वारा  चुनौती दी गयी| रिट याचिका निरस्त कर दी गयी और उच्च न्यायालय ने धारित किया कि अपीलार्थी को जब्त की गयी लोह यास्क पर कोई अधिकार नहीं है|  पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी उसे भी निरस्त कर दिया गया|अतः वर्तमान अपील प्रस्तुत की गयी है |ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि अपीलार्थी ने अनुमत सीमा से कई गुना अधिक खनन और उत्पादन किया है | सुप्रीम कोर्ट को वर्तमान प्रकरण में अनुच्छेद १३६ के अंतर्गत अपना  असामान्य क्षेत्राधिकार प्रयोग नहीं करना चाहिए और अपील निरस्त कर दी गयी|

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