Monday 6 February 2012

क्षतिपूर्ति की सूक्ष्म गणना

दिल्ली उच्च न्यायलय ने  राम देवी बनाम राजकुमार ( मनु/दिल्ली/3590/2011) के निर्णय में कहा है कि यद्यपि मृतक की आय रिकोर्ड पर साबित नहीं हुई है किन्तु साक्ष्यों के बयानों से यह प्रकट होता है कि वह सोफा मरम्मत का कार्य करता था इसलिए कुशल श्रमिक को देय न्यूनतम पारिश्रमिक यदि अपीलार्थी को दिया जाय तो यह उचित एवं न्यायपूर्ण होगा| दिनांक 16.03.19881.5.1989 को कुशल श्रमिक को देय न्यूनतम पारिश्रमिक क्रमशः 749 और 1000 रुपये था (दुर्घटना दिनांक 31.10.1988 को हुई), से मृतक का मासिक वेतन 875 रुपये बनता है | उक्त के मद्देनजर अपीलार्थी को देय क्षतिपूर्ति की पुनर्गणना समीचीन  है| यदि मृतक की आय को महंगाई में वृद्धि को ध्यान रखते हुए  दुगुना कर उसका औसत ले लिया जाय तो मासिक आय 1312.50रुपये प्रतिमाह या 15750 रुपये वार्षिक आती है| उसमें से 1/3 स्वयं के व्यक्तिगत एवं जीवन निर्वाह व्यय को घटा दिया जाय तो आश्रितों के प्रति योगदान 10500 रुपये वार्षिक आता है| मृतक की उम्र 37 वर्ष होने से 15 का गुणक लागू करने पर आश्रितता की हानि 157500रुपये आती है| उक्त के अतिरिक्त अपीलार्थी आर्थिक और गैर आर्थिक क्षति, प्रेम व सहवास से वंचित होने के लिए प्रत्येक हेतु 5000 रुपये, दाह संस्कार आदि के लिए कुल 20000 रुपये क्षतिपूर्ति के लिए हकदार हैं| इस प्रकार कुल क्षतिपूर्ति 177500 रुपये बैठती है|अतः अपीलार्थी बढ़ी हुई रकम के लिए हकदार हैं|

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