Friday 5 August 2011

अपराध के लिए आशय आवश्यक घटक नहीं है

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक राज्य बनाम अपा बालू इंगले (एआईआर 1993 एस सी 1126) में कहा है कि आपराधिक कानून प्राथमिकतः सामाजिक सुरक्षा की चिन्ता करता है तथा सभी द्वारा अनुपालन वाले नियम निर्धारित करता है तथा उनमें विचलन - अतिक्रमण या चूक-पर दण्ड देता है । यह निर्धारित कानून है कि  जहां समाज कल्याण के दृष्टिकोण से सामाजिक आवश्यकता मांग करती है या अभियुक्त की मनोदति को प्रमाणित करने में कठिनाई आती है न्यायशास्त्र आशय के प्रमाण के भार बिन्दु को छोड़ देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश बनाम नारायणसिंह (एआईआर 1989 एस सी 1789)  में कहा है कि धारा 7 (1) में प्रयुक्त शब्दावली यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर, साशय या अन्यथा धारा 3 के अन्तर्गत आदेश का उल्लंघन करता है। यह धारा व्यापक रूप से शब्दजड़ित है जिससे इसके भीतर मात्र जानबूझकर या साशय  किया गया उल्लंघन ही नहीं आता है अर्थात बिना आशय के किया गया भी शामिल है। अतःयदि धारा 3 का तथ्य निर्यात करना या निर्यात का प्रयत्न करने का साक्ष्य रिकॉर्ड पर मौजूद हो तो बिना वैध लाईसेन्स के खाद के निर्यात के लिए आशय घटक एक व्यक्ति की दोष सिद्धि के लिए आवश्यक नहीं है।

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