Tuesday 30 August 2011

न्यायाधीशों द्वारा अवमान

सुप्रीम कोर्ट ने अवमान के सम्बन्ध में ब्रेड कान्ता बनाम उड़ीसा उच्च न्यायालय (एआईआर 1974 सु.को.710) में कहा है कि एक न्यायाधीश ऐसा कार्य करते समय अपनी भाव भंगिमा से न्याय प्रशासन को दूषित कर सकता है।
हरिशचन्द्र बनाम अली अहमद (1987 क्रि.ला.रि.ज. 320 पटना ) में  कहा है कि एक न्यायाधीश जिसमें वह अध्यक्ष पीठासीन है उस न्यायालय  का अवमान कर सकता है।
बी.एन.चौधरी बनाम एस.एस.सिंह (1967 क्रि.ला.रि.ज. पटना 1141) में  कहा है कि मजिस्ट्रेट को अपने भारी दायित्व के प्रति सचेत रहना चाहिए तथा विवाद्यकों के हित के विपरीत कार्य नहीं करना चाहिये।
बरेली बनाम जम्बेरी (1988 क्रि.ल स.रि.ज.90) में कहा गया है कि यदि अधीनस्थ न्यायालय का एक पीठासीन अधिकारी न्यायालय के अवमान का दोषी है तो अधिनियम की धारा 15 के अन्तर्गत संदर्भ का प्रावधान लागू नहीं हो सकता।

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