Thursday 6 October 2011

साक्षियों की याददाश्त धूमिल होने से पूर्व अन्वीक्षण त्वरित पूर्ण हो

सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णन बनाम कृष्णावेणी (एआईआर 1997 सुको 987) में स्पष्ट  किया है कि आपराधिक अन्वीक्षण का उद्देश्य सार्वजनिक न्याय देना, अपराधी को दण्ड देना तथा सुनिश्चित करना कि साक्षियों की याददाश्त  धूमिल होने से पूर्व अन्वीक्षण त्वरित पूर्ण हो । हाल की प्रवृति अन्वीक्षा को विलम्ब करने और गवाहों को धमकाने या वादों या प्रेरणा से उन्हें जीतने की है। इन दुष्प्रवृतियों को रोकने की आवश्यकता है तथा सार्वजनिक न्याय तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब अन्वीक्षण त्वरित संचालित की जावे।

No comments:

Post a Comment