Wednesday 26 October 2011

कानून का पुनर्जन्म

सुप्रीम कोर्ट ने सहायक आयुक्त बनाम वेलीअप्पा टेक्सटाईल्स के निर्णय दिनांक 16.09.03 में कहा है कि प्रारम्भ में यह माना जाता था कि निगमों को आपराधिक रूप से दायी नहीं ठहराया जा सकता है जहां कि आशय आवश्यक हो लेकिन वर्तमान न्यायिक विचारधारा यह लगती है कि निगम के प्रभारी अधिकारी उसके अन्तरंग मित्र होते है। वह निगम के लिए उतरदायी हैं। यहां तक कि एक कृत्रिम व्यक्ति को भी ऐसे अपराध के लिए अभियोजन किया जा सकता है। जब तक देश में अभियुक्त की निर्दोषिता की मान्यता है तब तक प्रत्येक कमी का लाभ अभियुक्त को दिया जाना चाहिए। जहां कहीं भी विद्यायिका ने नीतिगत कारणों से विवेकाधिकार को अलग कर दिया तो वहां न्यायालय विधायिका द्वारा निर्धारित दण्ड का एक मात्र भाग लगाने के लिए स्वतन्त्र नहीं है क्योंकि ऐसा करना कानून के उस प्रावधान का पुनर्जन्म होगा।

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