Monday 31 October 2011

वास्तविक न्याय की आयाम

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य बनाम दामू गोपीनाथ सिधे (2000 क्रि.ला.ज. 2301) में कहा गया है कि इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि संस्वीकृति दर्ज करने के लिए निकट के किसी मजिस्ट्रेट के स्थान पर दूर के मजिस्ट्रेट को क्यों प्राथमिकता दी गई।
गुजरात उच्च न्यायालय ने रामभाई बनाम गुजरात राज्य (1991 क्रि.ला.ज. 3169 गुजरात) में कहा है कि प्राकृतिक न्याय की आवश्यकता है कि जिस सुसंगत विषय वस्तु पर प्राधिकारी अपना निष्कर्ष दर्ज करना चाहे उससे प्रभावित व्यक्ति को इसकी सूचना होनी चाहिए।

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