Sunday 16 October 2011

क्या आपको मालूम है बिजली कहाँ से आती है?

मुझे तो नहीं मालूम बिजली कहाँ  से आती है| शायद इंजिनीयरों को भी नहीं! चलो अपने मंत्रीजी  से चलकर पूछते हैं| हमें प्रायः बिजली संकट से जूझना पडता है, चाहे हम गांव, ढाणी या महानगर में रह  रहे हों बिजली संकट सामान्य सी बात है और अब तो रोजमर्रा की बात हो गयी है, इसमें कुछ भी नया नहीं| बिजली न होने के लिए बहानों की एक लंबी सूची है जैसे किसी वर्ष बरसात कम हुई हो तो  बांधों में पानी नहीं है और संयोग से बरसात अच्छी हो गयी हो तो कोयला खानों में पानी भरने से कोयले की आपूर्ति बाधित है| राज्य में बिजली उत्पादन कम होना, अन्य राज्यों से महँगी बिजली खरीदने में असमर्थता आदि कुछेक बहाने और..... हैं| मैं ज्यादा बहाने नहीं जानता, आपको ज्यादा  जानकारी लेनी हो तो बिजली के किसी इंजिनीयर से जानकारी करें| शायद वे आपके ज्ञान कोष में वृद्धि कर आपको उपकृत कर सकें|

आपने ध्यान दिया होगा कि इसी  संकट काल में जब मंत्री जी का दौरा हो, चुनावों की मतगणना चल रही हो तो बिजली का उत्पादन अचानक बढ़ जाता है और आखिर बिजली आप तक पहुँच ही जाती है| इसी प्रकार गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस के दिन भी नेताजी के भाषण सुनाने बिजली अवश्य पहुँच जाती है, चाहे उपरोक्त संकट के सभी कारक एक साथ मौजूद हों| क्रिकेट मैच, दीपावली पर तो मंत्रीजी की विशेष कृपा होती ही है| बजट के दिन भी बिजली आपकी सेवा में उपस्थित रहती है| अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि बिजली संकट के विषय में आपका नेतृत्व आपको कितना गुमराह करता है और जब स्वयं नेतृत्व को आवश्यकता हो अथवा क्रिकेट मैच के दिनों में होहल्ला व धरने प्रदर्शन  होने का भय हो तो आपूर्ति सुचारू रहती है| दर असल हमने यह गुण अंग्रेजों से विरासत में लिया है| वे लोग विरोध प्रदर्शन के बिना समझते नहीं थे| हमारा वर्तमान नेतृत्व भी शायद ज्यादा नहीं तो उतना ही संवेदनहीन है और जब तक उसे शांति भंग का अंदेशा नहीं हो तब तक वह जागृत नहीं होता चाहे आप उसके लिए धरने प्रदर्शन की चेतावनी देते रहें या ज्ञापन देते रहें| शांतिपूर्ण प्रदर्शन से हमारे नेतृत्व की कुम्भकर्णी नींद नहीं उड़ती है| आज भी हमारी अपनी चुनी गयी लोकप्रिय सरकारें  शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर ध्यान देने की बजाय हम पर ही आधी रात  लाठियां बरसाकर या प्रदर्शनकारियों का अपहरण कर आंदोलन को कुचलने में अंग्रेजी हुकूमत से किसी भी तरह पीछे नहीं रहना चाहती है| जी हाँ यह एक मात्र क्षेत्र  अंग्रेजी हुकूमत से सदैव आगे रहने के लिए हमने चुना है! आप देखते जायं हम कितनी प्रगति करते हैं  और कितना आगे निकलते हैं| बाद में मिलेंगे, जय रामजी की ! अजी आप इसे कहीं सांप्रदायिक तो नहीं समझ बैठे! हमें तो इस देश में सिर्फ धर्म निरपेक्ष नागरिकों  की आवश्यकता है|

No comments:

Post a Comment