Saturday 15 October 2011

शक्ति न्यायिकतः प्रयोग की जानी चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने ऐशोसियेट सीमेन्ट कं. बनाम केशवानन्द (1998 एआईआर 596) में स्पष्ट किया है कि यदि परिवादी उपस्थित न हो तो न्यायालय अभियुक्त को दोषमुक्त कर सकता है किन्तु यह शक्ति न्यायिकतः प्रयोग की जानी चाहिए। अर्थात् न्याय प्रशासन को प्रभावित किये बिना और यदि परिवादी की उपस्थिति उसी दिन आवश्यक न हो तो मात्र इसी आधार पर परिवाद को निरस्त करना ठीक नहीं है।

No comments:

Post a Comment