Sunday 9 October 2011

दण्ड गैर आनुपातिक रूप से बड़ा न हो

सुप्रीम कोर्ट ने शीबू बनाम कर्नाटक उच्च न्यायालय (2007 क्रि.ला.ज. 1806) में कहा है कि अपराध तथा दण्ड के मध्य समानुपातिकता एक रेगिस्तानी सिद्धान्त है जो कि प्रत्येक आपराधिक दण्ड के औचित्य की नींव है। आपराधिक सिद्धान्त के तौर पर यह सुपरिचित तथा महत्वपूर्ण है कि सिर्फ दोषी ही दण्डित होना चाहिए। वास्तव में यह आवश्यकता कि दण्ड गैर आनुपातिक रूप से बड़ा न हो जो कि एक न्यायिक स्वभाविकता है भी इसी सिद्धान्त द्वारा शासित है कि निर्दोष का किसी दण्ड से दण्डित होना अनुमत नहीं करता जो कि बिना दोष कि आपराधिक दुराचरण से अधिक के लिए अपेक्षित है।

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