सुप्रीम कोर्ट ने ई.एम.शंकरन नंबुरीपाद बनाम टी नारायण नमीबियार (1970 एआईआर 2015) में कहा है कि उसने ऐसा कोई परिणाम का आशय नहीं रखा था यह तथ्य दण्ड में विचारणीय हो सकता है। किन्तु एक न्यायोचितता के रूप में काम नहीं दे सकता है। न्यायाधीश का सद्विश्वास एक मजबूत चट्टान है जिस पर कोई भी प्रशासनिक निकाय मजबूती से टिकता है और लोगों का न्यायालय में विश्वास डगमगाने का प्रयास स्वयं प्रजातान्त्रिक निकाय की जड़ों पर प्रहार है।
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