Sunday 6 November 2011

झूठ का ज्ञान होने पर ही मिथ्या सूचना दंडनीय है

कलकता उच्च न्यायालय ने पशुपति बनर्जी बनाम राजा (एआईआर 1950 कलकता 97) में कहा है कि भा.द.स. की धारा 182 के प्रावधान को आकर्षित  करने के लिए यह आवश्यक है कि जिस व्यक्ति ने लोक सेवक को सूचना दी वह यह जानता हो या विश्वास हो कि वह झूठी और उसने उसके द्वारा यह आशय रखा हो कि लोकसेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने या चिढाने के लिए प्रयोग करेगा। मात्र यही पर्याप्त नहीं है कि उस व्यक्ति के पास यह विश्वास करने के कारण हो कि वह झूठी है या उसे सत्य होने का विश्वास नहीं है। अपितु यह आवश्यक है कि उसे इस बात का सकारात्मक ज्ञान या विश्वास हो कि वह झूठी है।

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