Wednesday 16 November 2011

अपराध के लिए दिया जाने वाला दण्ड नृशंसता एवं अत्याचार से सुसंगत होना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने जी.एन.रावजी उर्फ रामचन्द्र बनाम राजस्थान राज्य (1996 एआईआर 787) में कहा है कि अपराधिक अन्वीक्षण में अपराध की प्रवृति तथा गम्भीरता है, न कि अपराधी जिन पर उचित दण्ड पर विचारण का आधार निर्भर करता है। न्यायालय अपने कर्त्तव्य में विफल होगा यदि उपयुक्त दण्ड नहीं दिया जाता जिस अपराध को उसने न केवल आहत व्यक्ति के विरूद्ध किया है बल्कि उस समाज के विरूद्ध किया है जो कि अभियुक्त एवं आहत का है। अपराध के लिए दिया जाने वाला दण्ड असंगत नहीं होना चाहिए बल्कि यह की गई नृशंसता एवं अत्याचार से सुसंगत होना चाहिए जो कि अपराध किया गया था, अपराध की सार्वजनिक भर्त्सना की पर्याप्तता  और अपराधी के विरूद्ध समाज की चीख का जवाब देना चाहिए।

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