कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पुष्पम अपाला नायडू बनाम कर्नाटक राज्य के निर्णय दिनांक 06.05.10 में कहा है कि यदि परिवादी अपने परिवाद को आगे नहीं चलाना चाहता और उसे रकम मिल गई तथा याची का उसे उसके साथ कपट करने का कोई इरादा नहीं है और अभियोजन चालू रखने से कोई फलदायी उद्देश्य नहीं निकलेगा। किन्तु पुलिस ने उसका विरोध किया तो भी आपराधिक कार्यवाही को निरस्त किया जा सकता है।
वास्तविक लोकतंत्र की चिंगारी सुलगाने का एक अभियान - (स्थान एवं समय की सीमितता को देखते हुए कानूनी जानकारी संक्षिप्त में दी जा रही है | आवश्यक होने पर पाठकगण दिए गए सन्दर्भ से इंटरनेट से भी विस्तृत जानकारी ले सकते हैं|पाठकों के विशेष अनुरोध पर ईमेल से भी विस्तृत मूल पाठ उपलब्ध करवाया जा सकता है| इस ब्लॉग में प्रकाशित सामग्री का गैर वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए पाठकों द्वारा साभार पुनः प्रकाशन किया जा सकता है| तार्किक असहमति वाली टिप्पणियों का स्वागत है| )
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