Monday 14 November 2011

दण्ड कानून के यदि भिन्न-भिन्न अर्थ सम्भव हो तो उसे अभियुक्त के पक्ष में उदारता से समझा जाना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने दलीप बनाम कोटक महिन्द्रा क0 लिमिटेड के निर्णय दिनांक 10.04.07 में स्पष्ट  किया है कि  प्रत्येक अवसर पर इस प्रकार की अवज्ञा या गैर अनुपालना होती तथा पुनरावृत होती है और अपराध होता है। दोनों प्रकार के अपराधों में अन्तर यह है कि एक कार्य या चूक जो कि सदा के लिए अपराध बन जाती है और वह कृत्य या चूक जो कि चालू रहती है इसलिए प्रत्येक बार या अवसर पर नया अपराध गठित होता है। चालू रहने वाले अपराध के मामले में लगातार चालू रहने का घटक विद्यमान होता है जबकि जो अपराध एक बार सदा के लिए घटित होते हैं में इस तत्व का अभाव होता है। एक दण्ड कानून के यदि भिन्न-भिन्न अर्थ सम्भव हो तो उसे अभियुक्त के पक्ष में उदारता से समझा जाना चाहिए।

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