Thursday 17 November 2011

राज्याधिकारियों के लापरवाही के लिए जनता को दण्डित नहीं किया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने नथूलाल बनाम मध्यप्रदेश  राज्य (एआईआर1966 सु.को. 43) में कहा है कि इस बात में कोई संदेह नहीं कि राज्याधिकारियों ने लापरवाहीपूर्वक कार्य किया। उन्होंने अपीलार्थी की सुनवाई किए बिना ही उसका लाईसेन्स हेतु आवेदन निरस्त कर दिया गया और यहा तक कि निरस्तीकरण के विषय में उसे सूचित तक नहीं किया गया। उन्होंने समय-समय पर उसके द्वारा भेजी गई विवरणियां स्वीकार करते रहे और उसका अविश्वास का कोई कारण नहीं है कि निरीक्षक ने उसे समय-समय पर लाईसेन्स जारी होने का आश्वासन दिया जाता रहा। मेरा विचार है कि म.प्र. खाद्यान्न व्यवहारी लाईसेन्स आदेश,  1988 के उल्लंघन का गंभीर दृष्टिकोण लिया जा सकता है और रूपये 50- अर्थदण्ड न्याय के लक्ष्य के लिए पर्याप्त है। खाद्यान्न जब्ती का आदेश  अपास्त किया जाना चाहिए।

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