Wednesday 30 November 2011

स्थानीय क्षेत्राधिकार से बाहर निवास पर जिला न्यायाधीश को छ माह के निलंबन का दंड

मिन्नेसोटा राज्य(अमेरिका) के सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक मानक बोर्ड ने दिनांक 24.08.2010 को एक औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई कि हेन्नेपिन काउंटी जिला न्यायालय की न्यायाधीश माननीय पैत्रासिया कर्र करासोव ने मिन्नेसोटा के संविधान और न्यायिक अचार संहिता का उल्लंघन किया है| मिन्नेसोटा के सुप्रीम कोर्ट द्वारा  नियुक्त एक त्रिसदस्यीय पैनल ने सुनवाई में पाया कि न्यायाधीश करासोव दिनांक 1जुलाई , 2009 से 30 सितम्बर, 2009 तक अपने न्यायिक जिले में निवास करने में विफल रही, और उसकी  निवास स्थिति की जांच के लिए गठित बोर्ड को सहयोग करने में, व ईमानदार तथा स्पष्टवादी होने में वह विफल रही| पैनल ने सिफारिश की कि न्यायाधीश करासोव को भर्त्सना और न्यायिक पद से 90 दिन के लिए बिना वेतन निलंबित किया जाये| उल्लंघन किये गए नियम इस प्रकार हैं :
नियम 1.1  एक न्यायाधीश न्यायिक आचार संहिता सहित कानून का पालन करेगा|
नियम 1.2   एक न्यायाधीश हमेशा इस प्रकार कार्य करेगा जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्ठा, और निष्पक्षता में जन विश्वास बढे, और अनौचित्य व अनुचित प्रदर्शन से बचेगा | 
नियम 2.16 एक न्यायाधीश न्यायिक एवं वकालत सम्बंधित अनुशासनिक एजेंसियों के प्रति स्पष्टवादी और ईमानदार रहेगा तथा उन्हें सहयोग देगा|
मिन्नेसोटा के संविधान के अनुच्छेद 4 की धारा 4 के अनुसार जिला न्यायालय का प्रत्येक न्यायाधीश  अपने चयन और पद धारण करने के दौरान उस जिले का निवासी रहेगा|
बोर्ड द्वारा असहयोग के आरोप के सम्बन्ध में औपचारिक शिकायत थी कि न्यायाधीश करासोव ने बोर्ड को अपने क्रेडिट कार्ड के सम्बन्ध में सूचना प्राप्ति के लिए अधिकृति देने में विफल रही|
जनवरी 2011 में एक तीन सदस्यीय पेनल के समक्ष तीन दिन सुनवाई हुई | पेनल ने पाया कि न्यायाधीश करासोव ने जुलाई 2009 से जून 2010 के मध्य एक लिखित पट्टे के अनुसार अपने घर को किराये पर दे दिया|
प्रारम्भ में 29.05.2009 को न्यायिक मानक बोर्ड को एक सदस्य ने रिपोर्ट दी कि न्यायाधीश करासोव हेन्नेपिन काउंटी से बाहर रहती है| इस सदस्य ने बताया  कि इस सूचना का स्रोत एक प्रेक्टीस करने वाला वकील है जिसने नाम प्रकट न करने का आग्रह  किया है| उल्लेखनीय है कि भारत में गुमनाम या बेनामी शिकायतों पर कोई कार्यवाही ही नहीं की जाती है जबकि अमेरिका में गुमनाम शिकायत के आधार पर कार्यवाही कर एक जिला न्यायाधीश को छोटे से दुराचार के लिए भी गंभीर दंड से दण्डित कर दिया गया है|
पेनल ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि न्यायाधीश करासोव ने यह पूछने पर कि क्या वह अपने न्यायिक जिले से  कभी बाहर रही हैं तो उसने असंगत जवाब दिया कि वह कभी भी बाहर नहीं रही लेकिन बाद में 3 अगस्त 2010 को अपने साक्षात्कार में उसने कहा कि वह 01.07.2009 से सितम्बर 2009 तक अस्थायी तौर पर बाहर  रही |
न्यायधीश करासोव ने पैनल के निष्कर्षों के विरुद्ध यह कहते हुए अपील की कि बोर्ड स्पष्ट और संतोषजनक साक्ष्य से यह साबित करने में असफल रहा है कि उसने न्यायिक दुराचरण किया, और उसे कार्यवाही में अनियमितताओं व चूकों द्वारा कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया से मना किया गया है| बोर्ड और न्यायाधीश करासोव दोनों ने पैनल द्वारा सिफारिश किये गए दण्डों के विरुद्ध अपील की |
न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि बोर्ड ने स्पष्ट और मानने योग्य साक्ष्य से साबित कर दिया है कि न्यायाधीश करासोव अपनी सेवाओं के दौरान अपने क्षेत्राधिकार वाले जिले में रहने में असफल रही और उसकी रिहायस के सम्बन्ध में बोर्ड द्वारा जांच में वह सहयोग देने और स्पष्टवादी व ईमानदार रहने में असफल रही और उसने आचरण के नियम 1.1, 1.2, और  2.16 तथा संविधान के अनुच्छेद 4 की धारा 4 का उल्लंघन किया है| न्यायालय ने आगे यह पाया कि न्यायाधीश करासोव का उचित प्रक्रिया का दावा गुणहीन है| अंत में, न्यायालय ने कहा कि हमारे विचार से छ माह के लिए बिना वेतन निलंबन व भर्त्सना इसके लिए उपयुक्त दंड है और तदनुसार दण्डित किया गया|

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