Tuesday 15 November 2011

नैतिक अधःपतन

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुध पितई बनाम उपखंड अधिकारी (एआईआर 1965 इला. 382) में कहा है कि नैतिक अधपतन जो कुछ भी न्याय, ईमानदारी, सिद्धान्त या अच्छी नैतिकता के विपरीत, निराधार होने का कृत्य, दूषित, व्यक्तिगत एवं सामाजिक कर्त्तव्यच्युत जो कि एक मनुष्य अपने साथियों या समाज के प्रति सामान्यतः स्वीकृत एवं पारम्परिक अधिकार के नियमों के विपरीत तथा मनुष्य और मनुष्य के बीच कर्त्तव्य।
इस पहलु के मामले पर विचारण करते हुए स्मरण रखना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, अभिव्यक्ति नैतिक अधपतन या अपचारिता का संकीर्ण अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए। जहां कहीं भी एक वकील के विरूद्ध साबित आचरण ईमानदारी के विपरीत या अच्छी नैतिकता के विरूद्ध या अनैतिक हो यह सुरक्षित रूप से धारित किया जा सकता है कि नैतिक अधपतन संलिप्त है।

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