Sunday 20 November 2011

कानून द्वारा विशेष कारण देना मात्र एक रिक्त औपचारिकता ही नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने संतोष कुमार सतीश  भूषण बरीयाल बनाम महाराष्ट्र  राज्य की अपील सं0 1478/5 में कहा है कि यदि कानून भा.द.सं. की धारा 303 में मृत्युदण्ड आज्ञापक रूप से देता है तो द.प्र.सं. की धारा 235 (2) या 354 (3) मैदान में ही नहीं आते। कानून द्वारा विशेष कारण देना मात्र एक रिक्त औपचारिकता ही नहीं मानी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव बनाम बिहार राज्य के निर्णय दिनांक 06.12.06 में कहा है कि अन्वीक्षा के प्रारम्भिक स्तर पर साक्ष्य जो कि अभियोजक प्रस्तुत करना चाहता है कि सत्यता, विश्वसनीयता तथा प्रभाव अक्षरशः  निर्णित नहीं किया जा सकता और न ही अभियुक्त के संभावित बचाव को वजन दिया जा सकता। अन्वीक्षा के स्तर पर न्यायधीश  की यह बाध्यता नहीं है कि वह तथ्यों के बारे में विस्तृत विचार तथा वजन का विचारण करे कि ये अभियुक्त की निर्दोषिता के सम्बन्ध में संवेदनशील सम्बन्ध स्थापित करे लेकिन जहां क्षेत्राधिकार का प्रश्न उठाया जाता है और अन्वेक्षण न्यायालय को मुद्दे पर निर्णयन की आवश्यकता हो तो यह नहीं कहा जा सकता कि कारण दर्ज नहीं किये जाये। ऐसे मामले में कारण क्षेत्राधिकार से सम्बन्धित होते हैं और आवश्यक रूप से आरोप विरचन से सम्बन्धित नहीं।

1 comment:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति। बहुत विस्‍तार से समझाया है आपने।
    शानदार अभिव्यक्ति,

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