Tuesday 29 November 2011

सांसदों एवं विधायकों के लिए आदर्श आचार संहिता

भारत में नरसिम्हाराव सरकार को बचाने के लिए सांसदों की खरीद फरोख्त का मामला, प्रश्न के लिए धन और अभी नोट के बदले वोट मामले में संसद भवन में नोटों की गड्डियां लहराने के प्रकरण हमारे लोकतंत्र की गाथा गाते  हैं| हम चाहे मजबूत लोकतंत्र का कितना ही दम भरें किन्तु ये दागी मामले हमारा पीछा ही नहीं छोडते| देश में कानूनी व्यवस्था भी ऐसी है कि सांसदों की खरीद-फरोख्त के मामले में भी संविधान के अनुच्छेद १०५(२) का सहारा लेकर माननीय न्यायालय ने दागी सांसदों को तकनीकि आधार पर दोषमुक्त कर दिया| व्यवहार में देखा जाता है कि जनप्रतिनिधि अपनी शक्तियों के मद में चाहे जो करें स्थानीय पुलिस और प्रशासन तो इनके नत मस्तक हैं  ही, शेष राज्यतंत्र भी इनका बाल भी बांका नहीं कर सकता| हाँ,  लोक प्रदर्शन के लिए  इन्हें कुछ समय के लिए जेल में रहना पड़ सकता है या निचले न्यायालय द्वारा, अपवाद स्वरुप, सजा सुनाई जा सकती है किन्तु वर्तमान न्याय व्यवस्था में अंततोगत्वा इन्हें  सजा भुगतनी पड़ेगी यह कहना कठिन है| माननीय जन प्रतिनिधियों के लिए कोई आचार संहिता  भारत देश में विद्यमान नहीं है| इंग्लैंड में सांसदों के लिए विद्यमान आचार संहिता के आधार पर भारत में भी निम्नानुसार आचार संहिता का निर्माण किया जा सकता है और उसे कानूनी रूप दिया जा सकता है|
1.   सदस्यों से अपेक्षा है कि वे इस सदन के प्रस्तावों व इन नियमों का पालन करेंगे|
2.   सदस्य अपने आचारण में जन हित को महत्त्व देगा, व्यक्तिगत व जन हित के मध्य टकराव को टालेगा और दोनों में कोई टकराव होने पर तुरंत इसे जनहित के पक्ष में समाधान करेगा|
3.   कोई भी सदस्य सदन की कार्यवाही में किसी के लिए भाड़े के वकील की भांति कार्य नहीं करेगा|
4.   सदस्य द्वारा किसी बिल के पक्ष या विपक्ष में सदन या किसी समिति के सदस्य के रूप में अपने आचारण को प्रभावित करने के लिए रिश्वत; शुल्क, क्षतिपूर्ति या पारितोषिक सहित,  स्वीकार करना संसदीय  कानून के विपरीत है |
5.   किसी भी संगठन से या उसकी ओर से जिसके साथ सदस्य  के आर्थिक सम्बन्ध हों, चाहे ऐसी गतिविधियां सार्वजनिक रिकार्ड पर न हों, उसे मंत्रियों, सदस्यों और अधिकारियों के साथ इस प्रसंग में  पारदर्शी, खुले और स्वतंत्र रूप से रहना चाहिए|
6.   सदस्यों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जो सूचना वे संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन में गोपनीय रूप से प्राप्त करते हैं उन्हें मात्र उन्हीं कर्तव्यों के निर्वहन में ही प्रयोग करना चाहिए, और  ऐसी सूचना को कभी भी वितीय लाभ के लिए प्रयुक्त नहीं करना चाहिए|
7.   सदस्य को जनता की जेब से दिए जाने वाले उनके खर्चों, भत्तों, सुविधाओं और सेवाएँ हमेशा सख्त रूप से नियमानुसार हो, और वे सदन द्वारा ऐसे खर्चों, भत्तों, सुविधाओं और सेवाओं  के सम्बन्ध में निर्धारित सीमाओं का पालन करें|
8.   सदस्य हमेशा इस प्रकार का आचरण करेंगे कि  जिससे संसद की निष्ठा में जनता की आस्था और विश्वास बना रहे और मजबूत हो, और कभी भी कोई ऐसा कार्य नहीं करें जिससे सदन या उसके सदस्यों की प्रतिष्ठा को कोई आंच आये|

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