Thursday 8 September 2011

अभियोजन में विलम्ब

राजस्थान उच्च न्यायालय ने ओमप्रकाश बनाम राजस्थान राज्य (2004 (1 क्रि.ला.रि. राज0 747) में कहा है कि पुराना मामला घोषित करने के लिए कोई अंकगणितीय सूत्र नहीं है। यह मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है। वर्तमान प्रकरण में वर्ष 1988 से 1990 से सम्बन्धित आरोप है। याची 1996 में सेवानिवृत हुआ था। उसे वर्ष 2002 में एफ.आई.आर. दर्ज होने का ज्ञान हुआ। उसे कई लोगों के साथ अभियुक्त के रूप में पंक्तिबद्ध किया गया है। उसकी आरोपित भूमिका कोई विशिष्टिक प्रकृति की नहीं है, यह सामान्य एवं निराधार है। इस प्रकार प्रकरण की विशेष प्रकृति एवं परिस्थितियों में जब 58 वर्ष की आयु में 1996 में सेवा निवृत हो गया और अब वह 66 का है। उसके विरूद्ध जांच करने देना उसे बड़ी असुविधा व कठिनाई में डालेगी। वह उपयुक्त बचाव नहीं कर सकता, जब उसकी याददाश्त धूमिल तथा अनिश्चित हो जायेगी । अतः मेरे मतानुसार उसके विरूद्ध जांच जारी रखना न्यायालयी प्रक्रिया का दुरूपयोग है उपरोक्त कारणों से याचिका स्वीकार किये जाने योग्य है।

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