Sunday 18 September 2011

अपराध के प्रसंज्ञान के तरीके

सुप्रीम कोर्ट ने आर.आर. चारी बनाम उत्तर प्रदेश  राज्य (1951 एआईआर सु.को. 207) में स्पष्ट  किया है कि द.प्र.सं. की धारा 190 के शब्दों से स्पष्ट  है कि एक व्यक्ति के विरूद्ध कार्यवाही मजिस्टेªट द्वारा अपराध के प्रसंज्ञान से प्रारम्भ होती है, धारा में उल्लेखित तीन में से एक संभावना से प्रथम संभाव्यता व्यथित पक्षकार द्वारा दं.प्र.सं. में परिभाषित असंज्ञेय अपराध के सम्बन्ध में परिवाद से है।

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