Thursday 15 September 2011

स्टाफ की कमी के कारण न्याय में विलम्ब नहीं होना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने एच. श्यामसुन्दर राव बनाम भारत संघ के निर्णय दिनांक 14.11.2006 में कहा है कि यहां तक कि यह मानते हुए भी कि प्रत्यर्थी द्वारा जबाब में मिथ्या कथन किये गये थे, याची को बहस के दौरान न्यायालय का ऐसे बिन्दुओं की ओर ध्यान आकृष्ट  करने की स्वतन्त्रता है या उपयुक्त कार्यवाही करने तथा न्यायालय यदि उचित एवं आवश्यक समझे तो उसे कार्यवाही करनी चाहिए।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने ताहीर खान उर्फ शकील बनाम राजस्थान राज्य (आरएलडब्ल्यू 2009(4)राज. 2773) में कहा है कि उच्च न्यायालय में मामलों के निपटान में पर्याप्त विलम्ब के कई कारण हो सकते हैं किन्तु स्टाफ की कमी इसके लिए योगदान देने वाला कारण नहीं होना चाहिए।

4 comments:

  1. स्टाफ की कमी से ही अधिकांश विलम्ब उत्पन्न हो रहे हैं। कोटा श्रम न्यायालय में 4000 मुकदमे लंबित हैं जब कि भीलवाड़ा और अजमेर में
    इन की संख्या 300 के आसपास है। कोटा में स्टाफ भी उक्त दोनों अदालतों के मुकाबले कम है। कोटा की अदालत को रेफरेंस में कहा जाता है कि वह तीन माह में मामले का निर्णय करे, जब कि वहाँ चार माह से कम की पेशी देना ही संभव नहीं है।

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  2. किसी व्यक्तिगत मामले में संभव है कि परिस्थितियां भिन्न हों किन्तु मुकदमे बजी बढ़ने का मूल कारण यह है कि निर्णय अच्छे न्यायाधीशों द्वारा और अच्छे कानूनों के अनुसार नहीं हो रहे हैं अर्थात पीड़ित को समुचित राहत नहीं मिल रही है और दोषी को पर्याप्त दण्ड नहीं दिया जा रहा है चाहे उसके लिए दोष किसी को दिया जाये | अन्यथा कालांतर में दोषी लोग हतोत्साहित होंगे और वे अन्य लोगों के सामाजिक और व्यक्तिगत अधिकारों का अतिक्रमण करना छोड़ नहीं देंगे तो कम अवश्य कर देंगे |परिणामतः दीर्घकाल में मुकदमे बाजी न्यूनतम रह जायेगी | हाँ इससे एक खतरा अवश्य है विधि व्यवसाय दांव पर लग जायेगा और समस्याग्रस्त भारत में बेरोजगारी पाँव पसर लेगी! शायद यही सोचकर न्यायतंत्र से जुड़े लोग मात्र स्वांग करते रहते हैं और किसी भी वास्तविक सुधार का ह्रदय से समर्थन नहीं करते |

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  3. हमको जो गैस सिलेंडर से संबंधित समस्या हुई थी उसे हमने हाय-टेक टेक्नॉलॉजी का उपयोग करते हुये सभी जगह ई-मेल भेजा, जिस के कारण, जैसा कि सर्विस सेन्टर के कर्मचारियों ने अनुचित तरीके से “१५ दिन में गैस सिलेंडर मिलेगा” कहा था वह गैस सिलेंडर ४ दिन के बाद ही प्राप्त हो गया| इससे पता चलता है कि आप जब तक अपनी परेशानी को दुनिया व उससे संबंधित विभाग के ऑफिसरों के सामने नहीं पेश करेंगे तब तक आपकी परेशानी को सुना नहीं जायेगा| अतः हमारा आई.ए.सी. वॉलेन्टियरों से अनुरोध है कि अपने-अपने क्षेत्र में होने वाली छोटी से छोटी परेशानी चाहे वह दूध खराब होने की हो, अनाज खराब होने की हो या उपभोक्ता उत्पाद में खराबी से संबंधित हो उसे बिना समय गँवाये हाय-टेक टेकनॉलॉजी का उपयोग करते हुये वा उचित शब्दों का उपयोग करते हुये संबंधित अधिकारियों व विभाग तक पहुँचाये ताकि वह यह न कह सके कि हमें मालूम नहीं पडा| अगर कोई दुकानदार संबंधित खराब उत्पाद के बारे में आपसे अनुचित व्यवहार करता है और कहता है कि आपसे जो होता है वो कर लो, तब उस दुकान व दुकानदार की पूरी जानकारी के साथ संबंधित विभाग व डीलर को उसकी शिकायत अवश्य करें ताकि उन्हें सोते हुये से जगा सकें और कोशिश करें कि यह काम आप अपने लिये तो करें ही व अपने क्षेत्र में रहने वाले उपभोक्ता को भी प्रोत्साहित करें | "आप लोग खुद जागें व सोये हुये लोगों को जगायें" जिस प्रकार बच्चे को जब भूख लगती है तब वह रोता है|
    जय हिन्द
    शिवनारायण शर्मा

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