Friday 9 September 2011

निर्णय का लाभ सभी लोगों को दिया जाय चाहे वे कार्यवाही में पक्षकार हो अथवा न हों

सुप्रीम कोर्ट ने कल्याण चन्द्र सरकार बनाम राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के चर्चित प्रकरण में बल दिया है कि अनुच्छेद 142 एक महत्वपूर्ण संवैधानिक शक्ति है जो कि नागरिकों की रक्षा के लिए इस न्यायालय को दी गई है। जब दी गई परिस्थितियों में राहत देने के उद्देश्य से कानून अपर्याप्त पाया जावे न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर सकता है। इसी अनुच्छेद के अन्तर्गत शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस न्यायालय ने बी.एन.नागराजन बनाम मैसूर राज्य में संप्रेक्षित किया कि वह ऐसे अपीलार्थियों को भी राहत दे सकता है जिन्हें अपने मामले की पैरवी नहीं की तथा पूर्ण न्याय देने के क्रम में उन्हें न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय का लाभ दिया जाना चाहिए। इस न्यायालय ने संवैधानिक प्रावधानों की ऐसी व्याख्या की कि निर्णय का लाभ जब उचित हो इस प्रकार के सभी लोगों को दिया जाना चाहिए चाहे वे कार्यवाही में पक्षकार हो अथवा नहीं। आपराधिक मामलों में भी इस न्यायालय ने अपील न करने वाले अभियुक्तों जिनका मामला अपीलार्थियों के समान था भी दोष सिद्धि एवं दण्ड में परिवर्तन के पात्र होंगे।

अतः हम समझते हैं कि संहिता की उक्त आवश्यकता विडियो कान्फ्रेन्सिग द्वारा अन्वीक्षण से निर्देशित की जा सकती है। हम यह भी निर्देश देते हैं कि पटना में मामले का अन्वीक्षण न्यायालय द्वारा अपीलार्थी की उपस्थिति के बिना जारी रहेगी तथा यथा संभव विडीयो कान्फ्रेन्सिग से की जावेगी। हम आगे निर्देश देते हैं कि सभी सिविल एवं न्यायिक प्राधिकारी संविधान के अनुच्छेद 144 के अभिप्राय में इस आदेश की सहायता में कार्य करेगें।

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