Saturday 24 September 2011

संस्वीकृति एवं आशय

सुप्रीम कोर्ट ने श्रवणसिंह बनाम पंजाब राज्य (1957 एआईआर 637) में कहा है कि यदि संस्वीकृति (कबूलियत) स्वैच्छा से की जाती है तो भी यह स्थापित होना चाहिए कि संस्वीकृति सही है और इस उद्देश्य के लिए संस्वीकृति की जांच करना और अभियोजन के शेष साक्ष्यों तथा मामलें की संभावनाओं से तुलना करना आवश्यक है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरूबक्षसिंह बनाम राज्य (1977 क्रि.ला.ज. 1226) में कहा है कि यह तय करने के लिए कि क्या आपराधिक इरादा अपराध का आवश्यक घटक है, यह पता लगाना आवश्यक है कि क्या अपराध में किसी मना किये गये कार्य को करना समाहित करता है या यदि किसी विशेष दशा में कोई कर्त्तव्य करने में असफल रहने से उठता है यदि कानून में किसी कार्य को करने की पूर्ण मनाही है तो उस अपराध का घटक आपराधिक इरादा नहीं होगा किन्तु जहां यह किसी निश्चित घटना की स्थिति में एक कर्तव्य अधिरोपित करता है तो आपराधिक इरादा साबित करना आवश्यक है।

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