दिल्ली उच्च न्यायालय ने बी.एस.ई.एस. राजधानी पावर लिमिटेड बनाम शिवीलाल के निर्णय दिनांक 20.10.08 में कहा है कि एक व्यक्ति को मिथ्या शपथ के लिए दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता कि उसने उतावलेपन से या उपेक्षापूर्वक या तर्कसंगत पूछताछ के बिना तथ्य जिनका कि वह सही होना कहता है कहा यह साबित करना आवश्यक है कि उसने ऐसा कथन किया जिसे कि वह गलत होना जानता था या जिसके सही होने का विश्वास नहीं था। जिसे कि उसे शपथ भंग का दोषी सिद्ध किया जा सके। वर्तमान प्रकरण में अपीलार्थी का झूठा शपथ पत्र देने या ऐसी चीज को रिकॉर्ड पर लाना जो झूठी हो का कोई आशय नहीं था । शपथ पत्र दाखिल करते समय उन्हें पंजीकृत उपभोक्ता की मृत्यु का ज्ञान नहीं था। जैसे कि यह निरीक्षण में रिकॉर्ड की प्रविष्टि पर आधारित था और ऐसे रिकॉर्ड के आधार पर शपथ पत्र फाईल किये गये थे और मुझे एक मृत व्यक्ति के विरूद्ध में अपीलार्थी द्वारा झूठे शपथ पत्र फाईल किये जाने से कोई लाभ भी दिखाई नहीं देता।
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