Saturday 7 May 2011

न्यायिक आचरण -12

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हरिषंकर जैन बनाम बार काऊंसिल ऑफ इंडिया (2006 (4) ए.डब्लू.सी. 3893) में कहा है कि एक बार अच्छा कार्य तब करती है जब उसका  स्वतंत्र सम्बोधन गहन अध्ययन पर आधारित हो। एक वकील संस्थान की सर्वोतम सेवा तब करता है जब वह जानता हो कि हर साधन से मामला जीतना उसका कार्य नहीं है बल्कि तथ्यों एवं कानून पर साधिकार न्यायालय की मदद करना है। संस्था की सर्वोतम सेवा एक न्यायाधीष तब करता है जब वह बिना भय के सुनता और निर्णय देता है किन्तु जब वह पक्षपात के बिना निर्णय देता है।

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