राजस्थान सूचना आयोग ने अपील संख्या 1154/2009 शासन सचिव कार्मिक विभाग बनाम श्री मधु सूदन शर्मा में कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 22 में तो स्पष्ट रूप से यहां तक अंकित कर दिया गया है कि शासकीय गुप्त बात अधिनियम पर भी सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 भारी है तथा इस अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव है। इस प्रावधान में यह भी अंकित किया गया है कि ‘‘इस नियम से अन्यथा किसी विधि के आधार पर प्रभाव रखने वाली किसी लिखित में उससे असंगत बात के होते हुए भी सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 प्रभावी होगा। इसलिए अपीलकर्ता का यह तर्क कि वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन गोपनीय प्रकृति के हैं और अदेय है वर्तमान परिपेक्ष्य में निरर्थक है। इसी
तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए इस आयोग ने श्री के. के. माथुर बनाम रीको प्रकरण में दिनांकः 30-08-2006 को निर्णय देते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि तथाकथित वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन तथा वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन संबंधित व्यक्ति को प्रकट किये जाने चाहिये।वास्तविक लोकतंत्र की चिंगारी सुलगाने का एक अभियान - (स्थान एवं समय की सीमितता को देखते हुए कानूनी जानकारी संक्षिप्त में दी जा रही है | आवश्यक होने पर पाठकगण दिए गए सन्दर्भ से इंटरनेट से भी विस्तृत जानकारी ले सकते हैं|पाठकों के विशेष अनुरोध पर ईमेल से भी विस्तृत मूल पाठ उपलब्ध करवाया जा सकता है| इस ब्लॉग में प्रकाशित सामग्री का गैर वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए पाठकों द्वारा साभार पुनः प्रकाशन किया जा सकता है| तार्किक असहमति वाली टिप्पणियों का स्वागत है| )
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