Tuesday 24 January 2012

अनुसन्धान में बैंक खाते की कुर्की से पूर्व नोटिस देना आवश्यक नहीं

बम्बई उच्च न्यायालय ने विनोदकुमार रामचन्द्ररण वल्लुवर बनाम महाराष्ट्र राज्य (मनु/महा/0360/2011) के निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 102 बैंक खाते को कुर्क करते समय या पूर्व में,  अनुसंधान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए ताकि महतवपूर्ण साक्ष्य नष्ट नहीं हो जाये, नोटिस देने का प्रावधान नहीं करती| सम्बंधित पक्षकार को कुर्की से पूर्व सुनवाई का अवसर देने से कार्यवाही बाधित व अवरुद्ध होगी तथा न्याय का उद्देश्य विफल होगा व अनुसन्धान से संबद्ध प्रावधान प्राणहीन, जडता और स्वविफल हो जायेगा| अन्य सम्पति की ही भांति बैंक खाता भी कुर्क योग्य है| अन्य प्रक्रियाओं की भांति खाते की कुर्की अनुसन्धान की प्रक्रिया का  ही एक अंग है, यह साक्ष्य की गोपनीयता का संरक्षण करती है| यह व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता एवं सम्पति से वंचित नहीं करती है|
( लेखकीय टिपण्णी : न्यायालय का यह मत सही प्रतीत नहीं होता क्योंकि बैंक खाते की कुर्की से पक्षकार सम्पति के उपयोग से वंचित हो जाता है और बैंक खाते का रिकोर्ड तो बैंक के पास लंबे समय तक सुरक्षित रहता है व बैंक से, साक्ष्य में आवश्यक, खाते का विवरण अनुसंधान के दौरान या बाद में भी कभी भी  लिया जा सकता है अतः मात्र साक्ष्य संग्रहण के उद्देश्य से बैंक खाते की कुर्की उचित नहीं है|)

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