Saturday 28 January 2012

संदेह पर जमानत मुचलके की तस्दीक करवाई जा सकती है

 दिल्ली उच्च न्यायालय ने जगवंती बनाम भारत संघ के निर्णय दिनांक 30.08.07 में कहा है कि  जहाँ तक अभियक्त को मुक्त करने के लिए जमानती के बंध पत्र  (मुचलके) को तस्दीक करने के लिए भेजने का प्रश्न है, मैं यह समझता हूँ कि इस न्यायालय को ऐसे कार्य में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए| न्यायालयों में ऐसे अनेकों मामले हो चुके हैं जहां फर्जी जमानती दे दिए गए जिन्होंने जाली परिचय पत्र , राशन कार्ड और आर्थिक सक्षमता के कागजात पेश किये हैं| इस प्रकार के फर्जी जमानतियों के विरुद्ध, जो कुछ अभियुक्तों के लिए उपस्थित हुए, आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं और अन्वीक्षण न्यायालयों में विचाराधीन हैं| जब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती हो कि न्यायालयों में फर्जी जमानती उपस्थित होते हों, तो इसमे कुछ भी अनुचित नहीं है कि जमानती के मुचलके की तस्दीक कराने के लिए आदेश दिए जांय|  अभियुक्त की परीक्षण के समय उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए न्यायालय प्रायः जमानत का आदेश पारित करते समय जमानती के लिए प्रावधान करते हैं| बम्बई उच्च न्यायालय ने हाल ही एक मामले(सुबोध प्रसाद उर्फ अनिल छोटू बनाम महाराष्ट्र राज्य) में  घोषित किया है कि स्थानीय जमानती की अपेक्षा करना देश के कानून का उल्लंघन है| उच्च न्यायालय सरकार के परिपत्र दिनांक 16.12.08 जिसके द्वारा अन्य राज्यों से आने वाले अपराधियों से महाराष्ट्र राज्य के भीतर से ही जमानती की अपेक्षा की गयी थीं|  

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